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Pillai Lokacharya

अभी भी गूंजती हैं मंदिर की घंटियाँ: जब श्रीरंगम में 12,000 भक्तों ने भक्ति के लिए प्राण दे दिए

नई दिल्ली-क्या आपने कभी सोचा है कि कोई इंसान अपनी आस्था के लिए मौत को गले क्यों लगाता है? क्यों हज़ारों लोग, जिनके हाथों में न कोई तलवार थी, न कोई ढाल, एक मंदिर के भीतर ही कटते रहे... लेकिन फिर भी डटे रहे? यह कहानी है 1323 ईस्वी की—जब…