सार्वजनिक जीवन के वैचारिक बौने लोग
पार्थसारथि थपलियाल
भारत में मर्यादाओं की रक्षा समाज स्वयं करता आया है। लोक संस्कार, लोक व्यवहार, लोक अभिव्यक्ति और प्रदर्शन को लोक-मर्यादा और लोक-लाज नियंत्रित करते रहे। मर्यादाविहीन आचरण करने वाले स्वयं ही खलनायक बन जाते हैं।
लोक…