क्या इस आपदा को अवसर में बदल पाएंगे राहुल?
’जंग लगी जंजीरों में छटपटाती आजाद रूहें
इनकी पुकार अब तलक हर चौखट से लौट आई थी
पर क्या अब खुलेंगे वे बंद खिड़की दरवाजे
जो आतुर आस्थाओं की पोटली वैसे ही संभाले हुए हैं
जैसे हम-आपने सबने संभाल रखी है अपनी जुबानें’
सियासी…