नूँह की घटना दर्दनाक ही नहीं , शर्मनाक भी…..
*राकेश शर्मा
कुछ दिनों से मन बहुत व्यथित और विचलित है। मेरे देश को क्या हो गया है , हम कहाँ जा रहे हैं , क्या १९४७ दोहराया जा रहा है और हम मूकदर्शक बने एक और विघटन का हाथ पर हाथ धरे इंतज़ार कर रहें है। कुछ लोगों को यह कथन असहज लग…