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राष्ट्रप्रथम

राष्ट्रप्रथम: लोकतंत्र के नाम पर सनातन विरोधी जमघट

पार्थसारथि थपलियाल (संयोजक भारतीय संस्कृति सम्मान अभियान) रविवार 31 मार्च को रामलीला मैदान दिल्ली में भारत की परिवारवादी पार्टियों की एक रैली आयोजित की गई। इसे “लोकतंत्र बचाओ रैली” नाम दिया गया। इस रैली में विपक्षी राजनीतिक दलों के इंडी…

राष्ट्रप्रथम- दर्पण झूठ नही बोलता

पार्थसारथि थपलियाल लोकतंत्र में तंत्र आम अवधारणा के अनुसार शासन जनता का है, लेकिन जब लोकतंत्र लूटतंत्र बन जाय तो लोकतंत्र बेईमानी बन जाता है। परिवारवादी राजनीति हो तो लोकतंत्र लूटतंत्र बन जाता है। बिना लोकलाज का लोकतंत्र गिरोहतंत्र…

राष्ट्रप्रथम- ग़लत फहमी के नैरेटिव की पाठशाला

पार्थसारथि थपलियाल पापी पेट क्या नही करवाता इसका प्रबल उदाहरण है पत्रकारिता। 30-35 साल पहले झूठ का सच गड़ने वाले न समाचार पत्र हुआ करते थे न रेडियो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। आकाशवाणी विवादित विषयों की बजाय सामाजिक उत्थान, विकासात्मक और…

राष्ट्रप्रथम-स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर

पार्थसारथि थपलियाल भारत को 1857 की क्रांति के बाद, (ईस्ट इंडिया कंपनी से) भारत का शासन ब्रिटेन सरकार ने अपने हाथों में पूर्णतः ले लिया था। इस सरकार ने जो दमनकारी नीतियां लागू की उससे भारतीय समाज की स्थिति बहुत खराब हुई और लोगों में…

राष्ट्रप्रथम- तिरंगे में छुपा स्वतंत्रता का असली मंत्र

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकों का आह्वान किया है कि भारतीय स्वाधीनता के अमृतमहोत्सव (स्वाधीनता का 75वां वर्ष ) को हम स्मरणीय बनाएं। इसके लिए उन्होंने कहा कि 2 अगस्त से 15 अगस्त तक हम हमारे स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक…

राष्ट्रप्रथम: भ्रष्टाचार बन गया शिष्टाचार

पशिम बंगाल के मंत्री पार्थो बनर्जी इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दायरे में हैं। प्रकरण सभी को मालूम है-शिक्षक भर्ती में धांधली के चलते उन्होंने अनाप सनाप भ्रष्टाचार किया। प्रभावित प्रत्याशी जब कोलकाता उच्च न्यायालय गए और उच्च न्यायालय…

राष्ट्रप्रथम– सौ वर्षों की कामना: भारत 2047

वेदों में कई तरह की कामनाएं पढ़ने को मिलती हैं। अथर्ववेद में इसी तरह की कुछ कामनाएं हैं। जीवेम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्ष तक जीवित रहें। पश्येम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्षों…

राष्ट्रप्रथम- आत्मनिर्भर बनते भारत पर वक्र दृष्टि

पार्थसारथि थपलियाल रामचरितमानस में धनुषयज्ञ प्रकरण में धनुष टूट जाने के बाद परशुराम राजा जनक के दरबार मे पहुंच जाते हैं जहां सीता स्वयंवर आयोजित था। शिवजी के खंडित धनुष देखते ही परशुराम जब क्रोधाग्नि में आ गए। बोले- यह धनुष किसने…

राष्ट्रप्रथम- अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा

पार्थसारथि थपलियाल पुराणों में वर्णित केदारखंड (गढ़वाल) और मानसखंड (कुमाऊं) क्षेत्र को समग्र रूप में उत्तराखंड कहा जाता है। 1947 में अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति के बाद ब्रिटिश गढ़वाल भारत संघ में मिल गया। 1949 में टिहरी नरेश मानवेन्द्र…

राष्ट्रप्रथम- स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ने की आकांक्षा

पार्थसारथि थपलियल भारत युग युगों से विभिन्न राज्यों सहित एक राष्ट्र रहा है। इस राष्ट्र की एक संस्कृति रही है। एक संस्कृति के कुछ सम्यक जीवन आधार रहे हैं। यह नही कि सब लोग एक तरह का खान पान करते हो या परिधान पहनते हैं। खान पान, रहन…