तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दिया विवादास्पद बयान

समग्र समाचार सेवा
तमिलनाडु,4 मार्च।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाल ही में एक सार्वजनिक सभा में लोगों से तुरंत बच्चे पैदा करने की अपील कर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। उनका यह बयान 2026 में प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास (Delimitation Exercise) के संदर्भ में आया है, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभा की सीटों का पुनर्निर्धारण किया जाएगा।

परिसीमन और तमिलनाडु की चिंता

भारत में परिसीमन की प्रक्रिया प्रत्येक जनगणना के बाद की जाती है, जिससे विभिन्न राज्यों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संसदीय सीटें आवंटित की जाती हैं। तमिलनाडु, जिसने परिवार नियोजन कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू किया है, उसकी जन्म दर अन्य राज्यों की तुलना में कम रही है। इसके चलते यह आशंका जताई जा रही है कि यदि सीटों का पुनर्गठन जनसंख्या के आधार पर हुआ, तो तमिलनाडु को संसद में अपने मौजूदा 39 लोकसभा सीटों में से कुछ सीटें गंवानी पड़ सकती हैं, जबकि उच्च जन्म दर वाले अन्य राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं।

स्टालिन का विवादास्पद सुझाव

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने संबोधन में कहा, “मैं नहीं कहूंगा कि आप देर करें, बल्कि तुरंत बच्चा पैदा करें।” उनका यह बयान तमिलनाडु की घटती जन्म दर के संभावित राजनीतिक प्रभावों के प्रति चिंता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राज्य में दशकों से चले आ रहे प्रभावी परिवार नियोजन अभियानों ने अब तमिलनाडु को राजनीतिक रूप से नुकसान की स्थिति में डाल दिया है।

स्टालिन के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे चाहते हैं कि तमिलनाडु अपनी राजनीतिक शक्ति बनाए रखने के लिए अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को बढ़ाए। उनकी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), हमेशा तमिल हितों और राज्य की राजनीतिक ताकत के मुद्दों को प्रमुखता से उठाती रही है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

स्टालिन के इस बयान ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने इस सुझाव की आलोचना की है और इसे अव्यावहारिक और असंवेदनशील करार दिया है।

कई आलोचकों का मानना है कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व को जनसंख्या की दौड़ में तब्दील नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसमें अन्य कारकों जैसे कि विकास, शिक्षा, औद्योगीकरण और सामाजिक समावेशन को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि अगर अधिक जनसंख्या राजनीतिक शक्ति का एकमात्र पैमाना बन गया, तो इससे देश में असंतुलन और असमानता बढ़ सकती है।

वहीं, डीएमके के समर्थकों का कहना है कि स्टालिन ने जो चिंता जताई है, वह वास्तविक है। उनका मानना है कि तमिलनाडु जैसे विकसित और प्रगतिशील राज्य, जिन्होंने सामाजिक कल्याण और जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अपनाए हैं, उन्हें राजनीतिक रूप से दंडित नहीं किया जाना चाहिए।

आगे की राह

2026 का परिसीमन अभ्यास भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, खासकर दक्षिणी राज्यों के लिए, जो ऐतिहासिक रूप से कम जनसंख्या वृद्धि दर रखते हैं। स्टालिन का बयान निश्चित रूप से इस बहस को और अधिक तेज करेगा कि क्या भारत में संसदीय सीटों का निर्धारण केवल जनसंख्या के आधार पर किया जाना चाहिए, या इसमें अन्य मानदंडों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।

इस मुद्दे पर राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा हो सकती है, क्योंकि यह केवल तमिलनाडु तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य दक्षिणी राज्य जैसे केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश भी इसी चिंता का सामना कर सकते हैं। परिसीमन के चलते आने वाले वर्षों में दक्षिण बनाम उत्तर का एक नया राजनीतिक विमर्श उभर सकता है, जिसमें जनसंख्या वृद्धि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर व्यापक बहस होगी।

स्टालिन की इस अपील का कितना प्रभाव पड़ेगा, यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह बयान तमिलनाडु और भारत की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।

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