समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जुलाई: टाटा ग्रुप की प्रमुख ऑटो कंपनी, टाटा मोटर्स अब यूरोप की मशहूर ट्रक निर्माता Iveco को लगभग 4.5 अरब डॉलर (करीब ₹37,000 करोड़) में खरीदने की तैयारी में है। यह सौदा टाटा ग्रुप के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा: पहली बड़ी डील 2007 में टाटा स्टील द्वारा 12 अरब डॉलर में कोरस ग्रुप को खरीदने की थी। खबर सुनते ही निवेशकों ने प्रतिक्रिया दी और टाटा मोटर्स के शेयर करीब पौने चार प्रतिशत गिर गए, जब कि बाजार और सेगमेंट सेंसेक्स‑निफ्टी बढ़त पर थे।
बोर्ड बैठक और सौदे की समयसीमा
मीडिया सूत्रों के अनुसार, टाटा मोटर्स और Iveco दोनों कंपनियों की बोर्ड बैठक बुधवार को प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। इसके बाद औपचारिक रूप से कथित सौदे की घोषणा हो सकती है। यह अधिग्रहण विशेष रूप से Exor से 27.1% हिस्सेदारी खरीदने के माध्यम से होगा—यह Agnelli फैमिली की निवेश कंपनी है, जिसके पास Iveco में 43.1% वोटिंग राइट्स मौजूद हैं।
क्या बदलेगा टाटा का वैश्विक परिदृश्य?
यह सौदा JLR (Jaguar‑Land Rover) खरीद से भी बड़ा अनुमानित है, जिस पर टाटा 2008 में 2.3 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस डील से टाटा मोटर्स का वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र (Commercial Vehicle, CV) लगभग तीन गुना बढ़ सकता है। राजस्व अनुमान 75,000 करोड़ से उछल कर 2 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा हो सकता है—एक प्रभावशाली वैश्विक विस्तार सुनिश्चित होने वाला है।
रक्षा डिवीजन को सुरक्षित रखा गया
सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि अधिग्रहण के तहत Iveco का रक्षा क्षेत्र शामिल नहीं किया जाएगा। चूंकि इटली सरकार के लिए यह विभाग संवेदनशील है, इसलिए इसे रणनीतिक रूप से अलग रखा गया है।
पुराने गठजोड़ों की ओर वापसी
टाटा ग्रुप का Agnelli परिवार के साथ सहयोग नया नहीं है। पहले भी टाटा ने Fiat India के साथ साझेदारी की थी। Agnellis अब Ferrari और Stellantis (Fiat, Peugeot, Citroën समेत ऑटो ब्रांड समूह) में प्रमुख हिस्सेदारी रखते हैं—इसलिए इस सौदे को टाटा‑Iveco तालमेल का एक लंबा इतिहास माना जा रहा है।
नज़रिए से देखें: जोखिम या अवसर?
हालाँकि यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, निवेशकों की डर इस बात से जुड़ी है कि क्या इसी सर्वव्यापी विस्तार में वित्तीय दबाव या संकट छुपा हो। शेयरों में गिरावट संकेत दे रही है कि बाजार को इस महाद्वीपीय कदम का असर फिलहाल सकारात्मक नहीं दिखाई दे रहा है।
दूसरी ओर, सरकार और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह CV सेक्टर में भारत को वैश्विक खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इंडस्ट्रियल उत्पादन, निर्यात और मजबूत R&D नेटवर्क इस बड़े अधिग्रहण के संभावित फायदे हैं।
टाटा‑Iveco अधिग्रहण टाटा मोटर्स के लिए सिर्फ एक वित्तीय सौदा नहीं, बल्कि वैश्विक पहचान और वाणिज्यिक वाहनों के कारोबार में गोता लगाने जैसा कदम है। यह टाटा समूह की अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षा का प्रतीक है, जो भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की वैश्विक उभरती शक्ति को दर्शाता है। परंतु इस साहसिक कदम के साथ आने वाले निवेश जोखिम और शेयरधारकों की चिंताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इस अधिग्रहण के परिणाम—चाहे वो निवेशकों में विश्वास जगाना हो, वैश्विक बाजार में भागीदारी बढ़ाना हो, या दीर्घकालीन राजस्व वृद्धि लाना हो—इन सब पहलुओं से यह बिना शक टाटा मोटर्स की अगली कहानी को आकार देगा।
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