समग्र समाचार सेवा
पटना, 26 जून: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच तेज प्रताप यादव की अनुष्का यादव के साथ वायरल हुई तस्वीरों ने लालू परिवार में भूचाल ला दिया। इसके बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को परिवार और पार्टी से पूरी तरह अलग कर दिया। राजनीतिक भविष्य की अनिश्चितता में फंसे तेज प्रताप के लिए अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आए हैं।
वीडियो कॉल से शुरू हुई नई राजनीतिक गाथा
तेज प्रताप यादव ने हाल ही में एक वीडियो कॉल के जरिए पूर्व यूपी सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात की। वीडियो कॉल उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर भी साझा किया। बातचीत के दौरान अखिलेश ने सीधे पूछा, “कहां से चुनाव लड़ोगे?” तेज प्रताप ने जवाब दिया कि चुनाव की घोषणा से पहले वे लखनऊ जाकर उनसे मिलेंगे।
अखिलेश की सहानुभूति, तेज प्रताप का विश्वास
तेज प्रताप ने बातचीत के बाद कहा कि “अखिलेश यादव सदैव मेरे दिल के करीब रहे हैं, और इस समय जब परिवार ने साथ छोड़ा, तो उनका अचानक फोन आया — लगा मैं अकेला नहीं हूँ।” यह स्पष्ट संदेश है कि तेज प्रताप सपा की साइकिल पर चुनाव लड़ने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
सियासी समीकरण: आरजेडी से सपा की ओर?
आरजेडी ने तेज प्रताप को टिकट देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ना तेज प्रताप के लिए सबसे व्यवहारिक विकल्प बन सकता है। सत्ता गठबन्धन का हिस्सा दोनों दल के बीच गहरे संबंध हैं—राजलक्ष्मी यादव की शादी तेजप्रताप से और इंडिया गठबंधन के ढांचे से दोनों दल जुड़े हुए हैं।
बिहारी सियासत में सहयोग की संभावना
सपा भी बिहार में गठबंधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है। हालिया दौर में अफजाल अंसारी की तेजस्वी यादव से मुलाकात, और आरजेडी-सपा बीच संभावित समझौते की चर्चाओं ने संकेत दिए हैं कि तेज प्रताप को साइकिल पर चुनाव लड़वाने की राह तैयार हो रही है।
तेज प्रताप की नई रणनीति और राजनीति की बिसात
तेज प्रताप अब सफेद मैदान पर हैं—आरजेडी के बिना मजबूर हैं, लेकिन सपा के साथ गठजोड़ उन्हें फिर से मैदान में ला सकता है। यदि सपा उन्हें हसनपुर सीट से टिकट देती है, तो लालू यादव भी परिवार समन्वय को ध्यान में रखते हुए यह सीट तेज प्रताप को सौंप सकते हैं। ऐसे में तेज प्रताप के सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने की संभावना अब मात्र अटकल नहीं, बल्कि सुनियोजित रणनीति बनती जा रही है।
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