समग्र समाचार सेवा
पटना / वैशाली, 27 जुलाई: बिहार की राजनीति में एक और बड़ा मोड़ आया है, जब पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में वैशाली जिले की महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे।
निर्दलीय चुनौतियों की तैयारी
तेज प्रताप, जो वर्तमान में समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट से विधायक हैं, हाल ही में अपने पिता और RJD संस्थापक अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिए गए। इस कदम के बाद उन्होंने कहा:
“मेरे विरोधियों को जरूर दिक्कत होगी… मैं महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ूंगा।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें जनता का समर्थन मिल रहा है और “टीम तेज प्रताप यादव” नामक सोशल मीडिया मंच के माध्यम से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं।
नीतीश कुमार के सत्ता में बने रहने पर प्रश्नचिह्न
तेज प्रताप ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिरता पर भी सवाल उठाया:
“मुझे पूरा विश्वास है कि चाचा (नीतीश) मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे… अगर युवा, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात होगी, तो मैं उनके साथ खड़ा रहेगा।”
उनका मानना है कि अगर सरकार इन मूलभूत मुद्दों पर ध्यान देगी, तो वह जनता के बीच आकर्षक विकल्प बन सकते हैं।
निष्कासन की पृष्ठभूमि
25 मई 2025 को तेज प्रताप को RJD से छह साल के लिए निष्कासित किया गया था। यह कार्रवाई उस समय हुई जब तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर एक महिला (अनुष्का) के साथ सम्बंध स्वीकार किए। उन्होंने बाद में पोस्ट हटाते हुए कहा कि उनका पेज “हैक” हो गया था।
लालू प्रसाद ने उनके “गैर‑जिम्मेदाराना व्यवहार” की ओर इशारा करते हुए उनसे अपना राजनीतिक संबंध तोड़ लिया था। इसके बाद तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि उनके और छोटे भाई तेजस्वी यादव के बीच दरार पैदा करने की साजिश रची जा रही है।
यह कदम तेज प्रताप की राजनीतिक पहचान को नया आयाम दे सकता है। RJD से बाहर होकर निर्दलीय चुनाव लड़ना जोखिम भरा है, लेकिन अगर उनकी कथित लोकप्रियता और सोशल मीडिया समर्थन सच्चा साबित होता है, तो महुआ सीट पर उनका प्रभावी प्रदर्शन संभव है।
भारतीय राजनीति में अब सोशल मीडिया और स्थानीय जनाधार नए प्रतिरोधी स्वरूप देने लगे हैं, और तेज प्रताप इसी नए स्वरूप की आकांक्षा व्यक्त कर रहे हैं।
तेज प्रताप यादव का महुआ से चुनाव लड़ना केवल व्यक्तिगत विदाई नहीं बल्कि राजनीतिक आत्मनिर्भरता की कोशिश है। RJD से निष्कासन के बाद यह कदम यह संकेत देता है कि वे बिहार के युवा और स्थानीय मुद्दों पर खुद को ताज़ा विकल्प बनाना चाहते हैं। अब देखना यह है कि स्वतंत्र रूप से लड़ने वाला यह सफर उन्हें लोकादेश तक कितनी दूरी तय कराके ले जाएगा।
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