समग्र समाचार सेवा
पटना, 28 सितंबर: बिहार के नेता प्रतिपक्ष और RJD के प्रमुख तेजस्वी यादव ने रविवार को राज्य में दलित विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए कहा कि अनुसूचित जातियों की भागीदारी सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में बेहद कम है।
तेजस्वी यादव ने ‘पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन’ के दौरान राष्ट्रीय दलित एवं आदिवासी संगठन संघ (NACDAOR) के कार्यक्रम की झलकियां साझा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर आरएसएस जैसी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया।
तेजस्वी ने अपने एक्स (X/Twitter) पोस्ट में लिखा,
“राष्ट्रीय दलित एवं आदिवासी संगठन संघ (NACDAOR) द्वारा आयोजित ‘पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन’ में भाग लिया। पिछले 20 वर्षों से, नीतीश-मोदी सरकार की डबल इंजन नीति और आरएसएस की नीतियों के कारण बिहार में दलित विरोधी नीतियां लागू हुईं। राज्य में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 21.3% होने के बावजूद सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में उनकी भागीदारी मात्र 1.13% है।”
उन्होंने कहा कि शिक्षा, भूमि अधिकार और रोजगार में जातिगत असमानताएं लगातार बनी हुई हैं। तेजस्वी ने आगे लिखा,
“दलितों का शोषण लगातार जारी है। वर्तमान सामाजिक संरचना में शिक्षा, भूमि अधिकार और रोजगार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण असमानताएं हैं। कुल अनुसूचित जाति आबादी में केवल 0.015% डॉक्टर और 0.1% इंजीनियर हैं।”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उप-योजना के तहत छात्रों के लिए उचित फंड का आवंटन नहीं कर रही है।
“बिहार सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति उप-योजना के तहत आवंटित धन को अन्य प्रयोजनों में उपयोग कर रही है, जिससे इन वर्गों को कोई सीधा लाभ नहीं मिल रहा। जब दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, प्रगति और विकास की योजनाओं की बात आती है, तो यह दलित विरोधी सरकार फंड की कमी का बहाना बनाती है।”
उन्होंने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी दलित समुदाय के शोषण पर मौन रहने का आरोप लगाया।
“चिराग पासवान और जीतन राम मांझी, जो खुद को दलित नेता कहते हैं, सत्ता में हिस्सा मिलने के बाद दलितों के शोषण पर पूरी तरह मौन रहे हैं।”
तेजस्वी यादव के ये बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आए हैं, जब महागठबंधन, कांग्रेस और RJD के नेतृत्व में, एनडीए (BJP और JD(U)) की सरकार को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
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