तेजस्वी यादव EPIC विवाद में फंसे, चुनाव आयोग ने फर्जी वोटर ID पर जांच शुरू की

समग्र समाचार सेवा
पटना, 03 अगस्त: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक नए विवाद में घिर गए हैं। उन पर दो अलग-अलग मतदाता पहचान पत्र रखने का आरोप लगा है, जिसमें से एक नंबर फर्जी या अवैध होने की आशंका जताई जा रही है। चुनाव आयोग (ECI) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

तेजस्वी यादव का दावा और चुनाव आयोग का खंडन

तेजस्वी यादव ने शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दावा किया था कि उनका नाम विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत जारी मसौदा मतदाता सूची में नहीं है। उन्होंने एक EPIC नंबर (RAB2916120) दिखाया और कहा कि आयोग की वेबसाइट पर इसे सर्च करने पर ‘कोई रिकॉर्ड नहीं मिला’ का संदेश आया।

उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताते हुए चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल खड़े किए। लेकिन इस दावे को चुनाव आयोग ने तत्काल खारिज कर दिया।

ECI ने कहा—वैध EPIC नंबर है RAB0456228

चुनाव आयोग ने एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में मतदान केंद्र संख्या 204, क्रम संख्या 416 पर दर्ज है और उनका वैध EPIC नंबर RAB0456228 है, जिसके आधार पर उन्होंने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव भी लड़े थे।

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया गया EPIC नंबर RAB2916120 पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड में नहीं पाया गया। आयोग को आशंका है कि यह EPIC नंबर या तो फर्जी है या अवैध तरीके से बनाया गया है।

जांच के दायरे में राजद कार्यालय भी

चुनाव आयोग ने इस विवाद पर गंभीर रुख अपनाते हुए मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार अगर यह साबित होता है कि EPIC नंबर फर्जी है, तो यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत दंडनीय अपराध होगा।

आयोग इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या राजद कार्यालय से और भी फर्जी मतदाता पहचान पत्र जारी किए गए हैं।

विपक्षी दलों का हमला—‘चुनावी घोटाला’

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सम्राट चौधरी ने कहा, “तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो सच उजागर किया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि यह बहुत बड़ा घोटाला है। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।”

नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी यादव के खिलाफ IPC की धारा 171F के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उनके मतदान अधिकार को अस्थायी रूप से निलंबित किया जाए।

राजनीतिक ड्रामा या कानूनी संकट?

तेजस्वी यादव का यह दावा अब उनके लिए खुद ही संकट बनता जा रहा है। वोटर लिस्ट से बाहर दिखाने की कोशिश ने अब उन्हें फर्जी दस्तावेज के आरोप में लाकर खड़ा कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम ने चुनाव से पहले बिहार की राजनीति को गरमा दिया है।

 

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