समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 सितंबर।केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को पांच साल के लिए बैन कर दिया है और इसके साथ ही उसके 8 सहयोगी सगठनों पर भी 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों का संबंध इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से है. इतना ही नहीं ये संगठन देश में एक विशेष समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है और देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. इस वजह से पीएफआई पर बैन लगाया गया है.
पीएफआई पर प्रतिबंध, सही कार्रवाई
PFI बैन पर उ.प्र. के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि PFI की असामाजिक गैरकानूनी गतिविधियां लगातार जारी थीं. विभिन्न जांच एजेंसियां इस संगठन की जांच कर रही थी. जो तथ्य प्रकाश में आए हैं उन्हें देखते हुए गृह मंत्रालय ने जो निर्णय लिया है उसकी पूरे देश ने सराहना की है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं भारत सरकार द्वारा PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं. सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा.
PFI बैन पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था. भारत सरकार ने सही फैसला लिया है. यह सभी राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है। मैं लोगों से ऐसे संगठनों से नहीं जुड़ने का आग्रह करता हूं.
कांग्रेस ने की आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग
कांग्रेस सांसद और लोकसभा मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा कि हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. #PFIban कोई उपाय नहीं है, RSS भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है. RSS और PFI दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. केवल पीएफआई ही क्यों?
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