समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7जून। पैंगबर मोहम्मद पर अभद्र टिप्पणी का मामला खत्म होने का नाम नही ले रहा। जहां एक तरफ इस मामलों को लेकर कड़ा रूख अपनाया गया है इसके बावजुद दुनिया के कई देशों में मामला बढ़ता जा रहा है। इस मामलें को लेकर अरब देशों भारत के प्रति काफी रोष व्याप्त है। अरब देशों की नाराजगी की वजह से भाजपा को अपने दो नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। ऐसे में सवाल उठता है कि जहां एक तरह रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दुनिया दो खेमों में बंटती जा रही हैं। ऐसे में भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिका और रूस की नाराजगी के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। ऐसे में क्या भारत अरब देशों की नाराजगी मोल ले सकता है? आइए जानते हैं विस्तार से…
ऊर्जा जरूरतों में लगातार हो रहा इजाफा
भारत करीब सवा अरब से ज्यादा की आबादी वाला देश है। इस आबादी में साल दर साल के हिसाब से इजाफा हो रहा है। इससे भारत की ऊर्जा जरूरतों में भी बेतहाशा इजाफा जारी है। इसके लिए भारत दुनिया के बाकी मुल्क खासतौर पर अरब देशों की तरफ नजरें गढ़ाए हुए है। भारत अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही अमेरिकी और वेस्ट देशों की नाराजगी के बावजूद रूस से सस्ता देश खरीद रहा है। लेकिन अगर रूस पर ज्यादा प्रतिबंध कड़े होते हैं, तो भारत को भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के विकल्प के तौर पर अरब देशों की तरफ से पूरी तरह से रूख करना होगा। यही वजह है कि भारत अरब देशों को नाराज करने की हालत में नहीं है।
विदेशी मुद्रा भंडारण
अरब देशों में भारी संख्या में भारतीय मजदूर काम कर रहे हैं, जो भारत में बड़ी संख्या में अपनी कमाई का हिस्सा भारत भेजते हैं। अरब देश से भेजे जाने वाला रेमिटेंस भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में मदद करता है। वर्ल्ड बैंक के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस मिलता है। ऐसे में मौजूदा वक्त में भारत अरब देशों की नाराजगी झेलने की स्थिति में है। गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के 2021 की दूसरी चौमाही में UAE से भेजे जाने वाले इस पैसे में सालाना 8.7% या 3.6 अरब दिरहम की बढ़त देखने को मिली है। इस दौरान सबसे ज्यादा रेमिटेंस भारत को भेजा गया। भारत को सबसे ज्यादा 28.8 फीसदी रेमिटेंस भेजा गया है। यही वजह है कि भारत अरब देशों की नाराजगी नहीं झेल रहा है।
भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। साथ ही भारत एक चौथाई एलएनजी का आयात कर रहा है। चालू वित्त वर्ष में भारत तेल आयात के मामले में 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। भारत पिछले 10 माह में पहले ही 94.3 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। ऐसे में उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के आखिरी में भारत 105 से 110 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का करीब 84 फीसदी क्रूड ऑयल का आयात करता है।
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