अभी भी सवालों के घेरें में है वैश्विक महामारी कोरोना का अस्तित्व, कैसे मिलेगा निजात??

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5जून। पिछले एक साल से सारी दूनिया कोरोना महामारी को झेल रही है। करोड़ो लोगों ने अब तक इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा दी है। अभी लाखों लोगों का ईलाज चल रहा है। करोंड़ों लोगों की जिंदगी दाव पर लगी है। लेकिन अभी तक इस महामारी की दवा तक नहीं बन पाई है। ना ही इसका कोई उचित समाधान मिल पा रहा है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक इसकी उत्पत्ति का भी पता नही लगा जा सका है। कोरोना वायरस आया कहां से, यह चीन के वुहान से लिक हुआ है या लिक किया गया है??
कोरोना वायरस कहां से आया है इस बात को लेकर अलग अलग जगह से अलग बाते सामने आती है। नवंबर 2019 के आसपास इस वायरस के वुहान में पहली बार पुष्टि होने की खबरें आई थीं, इसके बाद कहा गया कि यह वायरस चमगादड़ों के जरिए इंसानों तक पहुंचा।
अभी जैसी देश की सारे विश्न की कोरोना ने हालात कर दिए है उसे देखते हुए यह पता करना बेहद जरूरी है कि यह आया कहां से है इससे बचने का उपाय क्या है। भविष्य में आने वाली आपदाओं से इंसानों को बचाने के लिए भी इस बात की खोज को बेहद अहम माना जा रहा है।

वुहान लैब हुई लीक ??
कोरोना के मामलें जबसे देश में मिले तबसे ही यही कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन की लैब से निकला था लेकिन आज तक यह साबित नहीं हो सका है।
चीन ने वायरस के लैब से लीक होने वाली बात का पूरी तरह से खंडन किया है। साथ ही चीन ने अमेरिका समेत कई अन्य पर षड्यंत्र रचने और ध्यान भटकाने के लिए महामारी को राजनीति से जोड़ने का आरोप लगाया है।

हालांकि, इसके बाद भी चीन लगातार कोविड-19 की उत्पत्ति की खोज का पता लगाने में रुकावटे डाल रहा है. वह लगातार जांच की कोशिशों को रोक रहा है. इसी रवैये के चलते कई सवाल उठे हैं कि अगर चीन के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो वह कुछ भी क्यों छिपा रहा है।

लैब से वायरस लीक होने की बात उन रिपोर्ट्स के बाद सामने आई, जहां साल 2012 में 6 माइनर बीमार पड़ने और यूनान के दक्षिण-पश्चिम स्थित चमगादड़ों की एक गुफा में जाने के बाद वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं की तबियत बिगड़ने की बात का जिक्र है।

फिलहाल, इस थ्योरी के कई सिरे हैं, लेकिन इनमें सबसे लोकप्रिय यह है कि माइनर्स SARS-CoV-2 के रिश्तेदार की चपेट में आए थे, जिसने कोविड-19 आपदा फैलाई. इसके बाद इशारा वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में हुई चीनी रिसर्च की तरफ जाता है कि साल 2019 में कुछ गलतियों की वजह से महामारी शुरू हुई।

इस थ्योरी को लेकर कई लोगों ने मजाक उड़ाया, लेकिन इसमें भरोसा करने वालों ने परत-दर-परत सबूतों को सामने लाना जारी रखा. पत्रकारों को चमगादड़ों की गुफा से बाहर निकालने से लेकर इंटरनेट से दस्तावेज हटाने तक उन्होंने बताया कि चीन कैसे आपत्ति जता रहा है.

इस बात को लेकर शोध जारी है और इसका नेतृत्व करने वाले खुद को डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनोमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिंग कोविड-19 यानि DRASTIC कहते हैं. इस समूह में भारतीय भी शामिल हैं.

इनमें पश्चिम बंगाल का एक युवा प्रमुख है, जिसकी उम्र 20 साल के करीब है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ‘The Seeker’ नाम से पहचाने जाने वाले इस युवा को न्यूजवीक के एक आर्टिकल में भी शामिल किया गया था.

लैब थ्योरी की बात फरवरी 2020 के बाद से सामने आने लगी थी. उस दौरान वायरस दुनिया में धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा था. रिसर्च पेपर्स में चीनी शोधकर्ताओं ने यह डर जाहिर किया था कि चमगादड़ के जीनोम से मेल खाने वाला कोरोना वायरस ‘शायद लैब से निकला है.’ हालांकि, मेडिकल अथॉरिटीज ने इस तथ्य से इनकार किया था. इन रिसर्च पेपर्स को बाद में हटा लिया गया था।

लेकिन अब एक बार फिर इस विवादास्पद दावे को बल मिलने लगा है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की एक प्रयोगशाला से ही लीक हुआ है।

फ़िलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तुरंत एक जाँच का ऐलान किया है जो यह पता लगाएगी कि आख़िर यह वायरस कहाँ से आया. क्या यह चीन की वुहान प्रयोगशाला से लीक हुआ है या कहीं और से आया है? उन्होंने 90 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
फ़िलहाल यह शक जताया जा रहा है कि कोरोना वायरस मध्य चीन के शहर वुहान की एक प्रयोगशाला से दुर्घटनावश निकल गया होगा।

वुहान में ही पहली बार इस वायरस का पता चला था। इस लीक थ्योरी के समर्थकों के मुताबिक़ चीन में एक बड़ा जैविक अनुसंधान केंद्र है।

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी नाम की इस संस्था में चमगादड़ में कोरोना वायरस की मौजूदगी पर दशकों से शोध चल रहा है. वुहान की यह प्रयोगशाला हुआनन ‘वेट’ मार्कट (पशु बाज़ार) से बस चंद किलोमीटर दूर है। इसी वेट मार्केट में पहली बार संक्रमण का पहला कलस्टर सामने आया था।

जो लोग प्रयोगशाला से वायरस लीक होने की थ्योरी का समर्थन कर रहे हैं, उनका मानना कि कोरोना वायरस यहां से लीक होकर वेट मार्केट में फैल गया होगा। बहुतों का मानना है कि यह चमगादड़ से हासिल किया गया असली वायरस होगा। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया होगा।

यह विवादास्पद थ्योरी कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में सामने आई और इसे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हवा दी। कइयों का कहना था कि एक जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए ही कोरोना वायरस में परिवर्तन किया गया होगा।

उस वक्त मीडिया और राजनीतिक दुनिया के लोगों ने इसे कोई साज़िश नहीं माना. लेकिन कइयों ने कहा कि इस आशंका पर ग़ौर करना होगा. इन तमाम विरोधी थ्योरी के बावजूद हाल के कुछ हफ्तों में अब इस आशंका को फिर से बल मिलने लगा है कि कोरोना वायरस किसी प्रयोगशाला से लीक हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप ने तो इस वायरस को चाइनीज वायरस का भी नाम दिया है।
अब सवाल यह उठता है कि यह महामारी कहीं से भी आई हो इसका ईलाज कैसे हो पाएगा..कैसे बचेंगी करोड़ो लोगों की जान…अभी और कितनी दिन तक दहशत में रहेंगे लोग???

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