वित्त मंत्री के पति और जानेमाने अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने मोदी सरकार को लगाई फटकार, बोले- हेडलाइंस मैनेजमेंट व अपनी पीठ थपथपाने में लगी है सरकार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26अप्रैल। जहां एक तरफ कोरोना के मामलें में दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। करोड़ो लोग बेवजह अपनी जान गंवा रहे है। ऐसे में देश में एक तरफ तो विरोधी दल जनता को गुमराह कर अपनी राजनीति की रोटी भी सेक रहे है वहीं केंद्र सरकार भी जनता के परेशानिंयों से बेपरवाह नजर आ रही है। हालांकि सरकार की तरफ से तरह तरह के दावे किए जा रहे है कि वे जनता को कोरोना से निपटने के सारे संसाधन उपलब्ध कराने में लगी है। इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने कोरोना संकट को लेकर मोदी सरकार से नाराजगी जाहिर की और जमकर फटकार भी लगाई।
उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की मदद करने के बजाय हेडलाइन मैनेजमेंट और अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है। वह अपने यूट्यूब चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उनका सुझाव रचनात्मक था लेकिन इसपर केंद्रीय मंत्री ने बहुत असभ्य प्रतिक्रिया दी और इसे राजनीति करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘भारत में कोरोना संक्रमण दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। मौतें रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। यह स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है। केंद्र सरकार की तैयारी और उनकी जवाबदेही को परखने का वक्त है। इन्हें अपनों की मौत कष्टदायी लगती है और दूसरों की मौत महज़ आंकड़ा दिखाई देती है।’

अर्थशास्त्री प्रभाकर ने कहा, इस संकट की वजह से लोगों की नौकरियां जा रही हैं। इलाज कराने में जमापूंजी भी खत्म हो जा रही है। ज्यादातर लोग वित्तीय नुकसान से उबर नहीं पा रहे हैं। जबसे महामारी का प्रकोप शुरू हुआ है, देश में करीब 1.80 लाख लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वास्तविक आंकड़े पेश नहीं किए जा रहे हैं। यह आंकड़ा वास्तविक स्थिति से काफी कम है।

उन्होंने कहा कि लगातार टेस्टिंग में भी कमी आ रही है और वैक्सिनेशन की रफ्तार बहुत कम है। हॉस्पिटल और लैब सैंपल ही नहीं ले रहे हैं। अस्पतालों पर इतना दबाव है कि वह समय पर रिपोर्ट नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को 3.56 लाख टेस्ट हुए जो कि एक दिन पहले से 2.1 लाख कम हैं। श्मशानों में कतार है, बेड के लिए मारामारी चल रही है लेकिन किसी राजनेता या धार्मिक नेता के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

परकला प्रभाकर ने कहा कि टीवी पर देखने को मिलता था कि कैसे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रैली कर रहे हैं। भीड़ जुटा रहे हैं। कुंभ का मेला चल रहा है। स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें होश आता है। हद तो तब होती है जब कुछ एक्सपर्ट और अन्य लोग इस भीड़ को भी जायज ठहराने लगते हैं। वे यह भी तर्क देते हैं कि दूसरे देशों के मुकाबले हमारी स्थिति अच्छी है। यह सुनकर बहुत बड़ा धक्का लगता है।

उन्होंने कहा कि देश के सामने खामोशी बहुत लंबे समय तक नहीं चलेगी। मानवता, पारदर्शिता और जवाबदेही ही टिकाऊ होती है। प्रधानमंत्री को अब तो सही आचरण का चुनाव करना चाहिए। सरकार हर परेशान करने वाले सवाल का जवाब नहीं देना चाहती है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अच्छा सुझाव दिया था लेकिन इसपर मंत्री ने असभ्य प्रतिक्रिया दी। इसपर राजनीति करने की कोशिश की गई।

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