विकसित भारत 2047 का लक्ष्य तभी हासिल होगा जब हर किसी में राष्ट्र निर्माण के लिए कर्तव्य और जिम्मेदारी की भावना जागृत होगी- धर्मेंद्र प्रधान
प्रोजेक्ट वीर गाथा 3.0 के 'सुपर-100' विजेताओं को राजनाथ सिंह और धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में किया सम्मानित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 जनवरी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ नई दिल्ली में प्रोजेक्ट वीर गाथा 3.0 के ‘सुपर-100’ विजेताओं को सम्मानित किया। 100 विजेताओं में से प्रत्येक को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक पदक और एक प्रमाण पत्र दिया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान ने ‘वीर गाथा’ को एक अनूठा कार्यक्रम बताया, जो युवा पीढ़ी को बहादुरों के बलिदान के बारे में प्रेरित करता है।
उन्होंने ‘प्रोजेक्ट वीरगाथा’ की परिकल्पना के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया, जो वर्तमान पीढ़ियों को भारतीय सेना की वीरता और बलिदान से परिचित कराने का एक बड़ा मंच बन गया है। उन्होंने वीरगाथा जैसी प्रेरणादायक परंपराओं को नई पीढ़ी के लिए सफल बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने ‘अमृतपीढ़ी’ में देशभक्ति की भावना, कर्तव्य की भावना और राष्ट्र-निर्माण की भावना को मजबूत करने के लिए प्रोजेक्ट वीरगाथा को एक शक्तिशाली माध्यम बनाने में रक्षा और शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। वीरगाथा 3.0 में 1.36 करोड़ छात्रों की भागीदारी की सराहना करते हुए उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस प्रेरक परंपरा का विस्तार भारत के प्रत्येक छात्र को शामिल करने के लिए किया जाएगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी कहा कि 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तभी हासिल होगा जब हर किसी में राष्ट्र निर्माण के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारी की भावना जागृत होगी। धर्मेंद्र प्रधान ने रेखांकित किया, आज जब हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, तो भारत जैसे युवा देश पर संपूर्ण मानवता की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वीरगाथा प्रतियोगिता भारत की विरासत और मूल्यों को पुनर्जीवित करने और स्वतंत्रता के बाद अपने लोगों के वीरतापूर्ण कार्यों का उदाहरण देने का अवसर प्रदान करती है।
यह एक यादगार क्षण रहा, जब रक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में पहली बार, राजनाथ सिंह ने विजेताओं में से एक, डीएवी पब्लिक स्कूल, कटक, ओडिशा की कक्षा 11 की छात्रा बरनाली साहू को उनकी तरफ से सभा को संबोधित करने के लिए मंच सौंपा। यह एक ऐसा कदम था जिसने कार्यक्रम के लिए इकट्ठे हुए छात्रों को प्रभावित किया।
बरनाली साहू की आवाज़ के माध्यम से, रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ में बदलने के दृष्टिकोण को देश के युवा साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा, “देश के भविष्य को आकार देने के लिए युवा सबसे महत्वपूर्ण संपदा है। वे एक विकसित राष्ट्र की जिम्मेदारी संभालेंगे।”
बरनाली के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा, “प्रोजेक्ट वीर गाथा देश के बहादुरों को युवाओं से परिचित कराने और इन युवा दिमागों द्वारा वीरता की कहानियों को बताने का एक प्रयास था। यह परियोजना ‘राष्ट्र प्रथम’ के मूल्यों को मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से शुरू की गई थी।”
उन्होंने हाल ही में कक्षा सातवीं के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय समर स्मारक और अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर नायकों पर एक अध्याय जोड़े जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हमारा मिशन हमारे सैनिकों की बहादुरी के बारे में बच्चों में जागरूकता बढ़ाना है। हम चाहते हैं कि वे वीरता और साहस को आत्मसात करें।” उन्होंने जोड़ा, ‘मैं जो सुनता हूं, भूल जाता हूं। मैं जो देखता हूं, वह मुझे याद रहता है। मैं जो करता हूं, मैं समझता हूं’, और इसे सीखने का एक सटीक तरीका बताया।
राजनाथ सिंह ने कहा: “आज ऊंची उड़ान भरने की चाह रखने वाले युवाओं के पास आकांक्षाओं का खुला आकाश है। इन राष्ट्र निर्माताओं को प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है।”
मंच सौंपने से पहले, रक्षा मंत्री ने छात्रों के साथ बातचीत करते हुए ‘आध्यात्मिक शक्ति’ पर अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने जीवन में जीत या कोई अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए शारीरिक, मानसिक/बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्ति को तीन पहलुओं के रूप में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, केवल एक आध्यात्मिक व्यक्ति ही आनंद प्राप्त करता है, केवल बड़े दिल वाले लोग ही आध्यात्मिक रूप से उन्मुख हो सकते हैं।
इस कार्यक्रम में परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेन्द्र सिंह यादव (सेवानिवृत्त) ने कारगिल युद्ध की अपनी वास्तविक जीवन की कहानी सुनाई, जहां उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और भारत की ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बच्चों से उन बहादुर सैनिकों से प्रेरणा लेने का आग्रह किया जो सर्वोच्च बलिदान देकर अपने देश की रक्षा करते हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और रक्षा और शिक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
रक्षा मंत्री की सिफारिशों के आधार पर, वीर गाथा 3.0 में पहले दो संस्करणों में 25 विजेताओं की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर 100 विजेताओं को मान्यता देने का उल्लेखनीय विस्तार हुआ। कई स्तरों – राष्ट्रीय, राज्य और जिला – पर विजेताओं को पहचानने की एक उन्नत सुविधा शुरू की गई थी। यह रणनीतिक विस्तार विभिन्न क्षेत्रों में बहादुरी का अधिक व्यापक उत्सव सुनिश्चित करता है और पूरे देश में वीरता के विविध कृत्यों के लिए सराहना को बढ़ावा देता है।
यह तीसरा संस्करण 13 जुलाई से 30 सितंबर, 2023 के बीच आयोजित किया गया था, जिसमें पूरे भारत के 2.42 लाख स्कूलों के रिकॉर्ड 1.36 करोड़ छात्रों ने निबंध, कविताओं, चित्रों और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों के रूप में अपनी प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कीं। राज्य और जिला स्तर पर मूल्यांकन के लिए विभिन्न रूब्रिक्स के तहत मूल्यांकन की श्रृंखला के बाद, लगभग 3,900 प्रविष्टियाँ राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत की गईं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय स्तर की मूल्यांकन समिति ने शीर्ष 100 प्रविष्टियों का चयन किया। प्रत्येक श्रेणी – कक्षा 3 से 5, कक्षा 6 से 8, कक्षा 9 से 10 और कक्षा 11 से 12 से पच्चीस (25) विजेताओं का चयन किया गया।
वीर गाथा 3.0 की उल्लेखनीय उपलब्धि का उदाहरण ‘सुपर-100’ में 65 छात्राओं की प्रभावशाली ताकत है। ओडिशा आठ छात्राओं के साथ शीर्ष पर रहा, उसके बाद बिहार सात के साथ रहा, जबकि जम्मू-कश्मीर और मणिपुर के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में क्रमशः दो और पांच उल्लेखनीय छात्राएं विजेता रहीं। विशेष रूप से, विजेता प्रविष्टियाँ भाषाई विविधता को दर्शाती हैं, जिसमें हिंदी और अंग्रेजी के अलावा उर्दू, पंजाबी, गुजराती, असमिया, तमिल और मराठी शामिल हैं, जो भारत की सांस्कृतिक और भाषाई चित्रवयनिका की समृद्धि को रेखांकित करती हैं।
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