भारत सरकार ने अब GeM पोर्टल को अब सहकारी संस्थाओं के लिए पारदर्शी तरीक़े से ख़रीदी के लिए खोल दिया है- अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सोमवार को मध्य प्रदेश के भोपाल में ‘कृषि विपणन में सहकारी संस्थाओं की भूमिका’पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23अगस्त। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सोमवार को मध्य प्रदेश के भोपाल में‘कृषि विपणन में सहकारी संस्थाओं की भूमिका’पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय बहुत कम समय में मार्केटिंग में सहकारिता की भूमिका में कैसे आमूलचूल परिवर्तन करें, इसके लिए कार्ययोजना लेकर आने वाला है। उन्होंने कहा कि एक सहकारी संस्था नेफेड लोगों और सरकार के बीच, किसान और सरकार के बीच कड़ी बनने और कई सरकारी योजनाओं को ज़मीन पर उतारने का काम कर रही है। श्री शाह ने कहा कि भारत में कृषि उत्पादों में हम दलहन और तिलहन छोड़कर लगभग आत्मनिर्भर हो चुके हैं। पिछले 8 सालों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई काम भी हुए हैं। सबसे बड़ा काम प्रधानमंत्री मोदी ने एमएसपी का मूल्य 50 प्रतिशत मुनाफ़े के साथ जोड़कर करोड़ों किसानों के उत्पाद को उचित मूल्य दिलाने का किया है। आज करोड़ों टन धान और गेहूं आज एमएसपी से खरीदे जाते हैं, लाखों टन दलहन-तिलहन एमएसपी से ख़रीदे जाते हैं और हर साल पारदर्शिता के साथ दामों की समीक्षा करके इनमें बढ़ोत्तरी करने का काम भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि देश में खाद्यान्न का उत्पादन 314 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचा है। सहकारिता मंत्रालय की स्थापना से पहले ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में अत्याधुनिक व्यवस्था लागू करने के लिए कई उपाय किए। राष्ट्रीय कृषि बाज़ार यानी ई-नाम इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आज 18 राज्यों और 3 केन्द्रशासित प्रदेशों की 1000 मंडियां ई-नाम के साथ जुड़ चुकी हैं और ई-नाम पोर्टल पर 1.73 करोड़ से अधिक किसान और लगभग ढाई लाख व्यापारी अपना पंजीकरण करा चुके हैं। 20 प्रदेशों के 2100 से ज़्यादा एफ़पीओ को ई-नाम पोर्टल से जोड़ा जा चुका है। इन सबके कारण मार्केटिंग में पारदर्शिता भी आई है और किसानों को उचित दाम भी मिलने की शुरूआत हुई है। ई-नाम प्लेटफार्म पर अब तक 2 लाख करोड़ रूपए से ज़्यादा का व्यापार हो चुका है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि उपज एक्सपोर्ट ने इस वर्ष 50 बिलियन डॉलर को पार कर लिया है। उन्होंने कहा कि PACS से ऐपैक्स तक मज़बूत मार्केटिंग की व्यवस्था के लिए राज्य, ज़िला और तहसील से लेकर पैक्स तक को मार्केटिंग के काम से जोड़ना होगा और इसीलिए भारत सरकार पैक्स को बहुद्देश्यीय और मज़बूत बनाने के लिए मॉडल एक्ट ला रही है। लगभग एक महीने के अंदर भारत सरकार पैक्स के मॉडल बायलाज़ को पूरे देश के लिए भेजेगी। इसके बाद पैक्स अपने आप में एफपीओ बनने के लिए योग्यता प्राप्त कर लेगा और सीधे मार्केटिंग की व्यवस्था के साथ जुड़ जाएगा। किसान को ऋण देने वाला पैक्स किसान की उपज को ख़रीदकर स्टेट फेडरेशन और नेफेड को दे सकेगा। 22 अलग-अलग गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार करने जा रही है। हमारी मूल व्यवस्था से मुनाफ़ा होने पर वो सीधे किसान के पास जाएगा। सहकारी चीनी मिल से लेकर अमूल तक मुनाफ़ा सीधा किसान के खाते में चला जाता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में बीज तथा खाद की खरीद और वितरण में सहकारिता की भूमिका बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। किसानों के पास पैक्स का एक्सेस हो, ऐसी व्यवस्था करना चाहते हैं। नेफेड विपणन की मामले में हमारा सबसे शीर्ष संगठन है और इसे अब सरकारी सहायता के आधार पर चलना छोड़ देना चाहिए और इसके लिए नेफेड को अपने आप को विस्तृत करना चाहिए। भारत सरकार ने मार्केटिंग के लिए एक नया इनीशियेटिव भी लिया है जिसके अंतर्गत एक महीने में हम एक एक्सपोर्ट हाऊस की स्थापना करने जा रहे हैं जो एक मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी होगी और ये किसान की छोटी से छोटी चीज़ को कोऑपरेटिव बेसिस पर एक्सपोर्ट करने की व्यवस्था हम करने जा रहे हैं। ऐसे में नेफेड अगर सिर्फ़ सरकारी काम करेगा तो किसान को इस एक्सपोर्ट हाऊस का फ़ायदा कभी नहीं मिल सकेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने अब GeM पोर्टल को अब सहकारी संस्थाओं के लिए पारदर्शी तरीक़े से ख़रीदी के लिए खोल दिया है और अब ये ख़ुद को पंजीकृत करके सरकार में सप्लाई करने का काम भी कर सकते हैं। ऐसा करके बहुत बड़ी सरकारी ख़रीद का बाज़ार सहकारी संस्थाओं के लिए खुल गया है। अगर सहकारिता पर भरोसा बढ़ाना है और पारदर्शिता बढ़ानी है तो आने वाले दिनों में हमें इस दिशा में काम करना होगा। हम मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट में भी बहुत सारे बदलाव लाने जा रहे हैं।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्राकृतिक और जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के अभियान के बाद आज कई किसान प्राकृतिक खेती की ओर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमूल थोड़े ही समय में देशभर में मिट्टी और किसान के उत्पाद का परीक्षण करके इसका सर्टिफिकेशन करेगा और अमूल ब्रांड से मार्केटिंग की व्यवस्था हम करने जा जा रहे हैं जिससे प्राकृतिक खेती करने वाले हर किसान को इसका फायदा मिल सके। यह मुनाफा अमूल के अकाउंट में नहीं जाएगा क्योंकि यह कोऑपरेटिव बेसिस पर होगा और मुनाफा सिमिट्रिकली बांट दिया जाएगा और सीधा किसान के खाते में जाएगा। अगर यह व्यवस्था सफलता से कर सकते हैं तो ज्यादा दाम मिलने पर कई और किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि एक नई सहकार नीति भी नरेंद्र मोदी सरकार लेकर आ रही है। सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाने का काम भी हमने हाथ में लिया है। मार्केटिंग के क्षेत्र में भी पैक्स से लेकर कृभको तक देशभर की सहकारी समितियों को जोडकर मार्केटिंग की मजबूत चेन हम बनाने जा रहे हैं। कॉरपोरेट खेती की जगह कोऑपरेटिव खेती की मांग और चलन बढ़ेगा और कोऑपरेटिव खेती सफल भी होगी। कृभको, इफको, अमूल इन सारी सफलता की हमारी कहानियों को हमें दुनिया के सामने रखना चाहिए क्योंकि दुनिया में शायद ही कुछ देश ऐसे होंगे जो सहकारिता के आंदोलन को सालों से सफलता के साथ चला रहे होंगे।

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