भारत की विविधतापूर्ण विरासत के संरक्षण में साझेदारी को बढ़ावा देने की पहल सरकार की प्रतिबद्धता है : मीनाक्षी लेखी

संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की पुनर्निर्मित वेबसाइट की, की शुरुआत

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 मार्च। संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने राष्ट्रीय संग्रहालय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की पुनर्निर्मित वेबसाइट का अनावरण किया। उन्होंने कॉरपोरेट-घरानों के प्रतिनिधियों को एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 के तहत स्मारकों को अंगीकार करने के लिए समझौता ज्ञापन भी सौंपे। इस अवसर पर लेखी ने कहा कि डिजिटलीकरण समावेशन का सहयोगी है। पुनर्निर्मित वेबसाइट की शुरुआत और हेरिटेज 2.0 को अपनाना भारत की परंपरा के साथ आधुनिकता का मिलन कराने की दिशा में एक ठोस कदम है।

उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विरासत भी, विकास भी’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इन एमओयू पर कॉरपोरेट्स के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं, क्योंकि केवल एएसआई हमारी 4000 विरासतों को संरक्षित करने के अपने कार्य को पूरा नहीं कर सकता है। ऐसे में इस प्रयास में सभी को शामिल किया जाना चाहिए, चाहे वह सरकार हो, कॉरपोरेट्स या फिर नागरिक हों। ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ की थीम पर सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है।

संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि 4000 स्मारकों में से 14 को अंगीकार कर इस यात्रा की शुरुआत की गई है। दर्शकों को बेहतर अनुभव देने, स्मारकों का जीवंत इतिहास बताने और भारत की संस्कृति में उनके स्थान को और अधिक बेहतर ढंग से व्याख्या करने के लिए इन 14 स्मारकों को बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि जब हमने ‘अडॉप्ट ए हेरिटेज वेबसाइट’ बनाई थी, उस पर हजारों स्मारक लोड किए गए थे। कॉरपोरेट इंडिया सीमित रूप में या व्यापक रूप से इन्हें अपना सकता है और देश के अमृत काल का हिस्सा बन सकता है।

आजकल छात्र जानकारी लेने के लिए वेबसाइट को एक मूल्यवान संसाधन मानते हैं। ऐसे में इस व्यापक डिजिटल बदलाव से सभी लोग तकनीक का लाभ उठा सकते हैं, जो एएसआई की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोग देश के सांस्कृतिक खजानों के बारे में जान सकें।

देशभर में 3600 से अधिक स्मारकों को अपने संरक्षण में रखने के साथ एएसआई इन सांस्कृतिक विरासत में आगंतुकों की सुरक्षा और उनके अनुभव को बेहतर बनाने में बाहरी भागीदारों के साथ सहयोग के महत्व को पहचानता है। समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने से विशिष्ट स्मारकों को अपनाने, उनके रखरखाव में योगदान देने और लोगों के सामने बेहतर तरीके से विवरण प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी लेने के लिए इन एजेंसियों की प्रतिबद्धता को औपचारिक रूप दिया जाएगा।

स्मारक सारथी/साथी के लिए चयन प्रक्रिया में उचित परिश्रम, विभिन्न पक्षों के साथ चर्चा और प्रत्येक स्मारक पर उनकी प्रतिबद्धता के साथ-साथ क्षमता का मूल्यांकन शामिल था। चयनित स्मारक सारथी/साथी स्वच्छता, सुगम्यता, सुरक्षा और ज्ञान श्रेणियों में सुविधाएं प्रदान करने और रखरखाव करने के लिए जिम्मेदार होंगे, उन्हें जिम्मेदार और विरासत के अनुकूल इकाइयों के रूप में स्थापित किया जाएगा।

यह पहल मौजूदा ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0’ कार्यक्रम पर आधारित है और भावी पीढ़ियों के लिए हमारी विरासत की रक्षा करने और दर्शकों का शुरू से अंत तक अनुभव बेहतर बनाने में सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थाओं की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित करती है।

इन स्मारकों की सूची में कुतुब मीनार, पुराना किला अग्रसेन की बावली, हुमायूं का मकबरा, ऊपरी किला अगुआडा, एलीफेंटा गुफाएं, आगरा का किला, भीमबेटका, बौद्ध स्तूप, कैलाशनाथ मंदिर, खजुराहो का मंदिरों का समूह, सफदरजंग का मकबरा, स्मारकों का समूह, मामल्लापुरम, जमाली कमाली और बलबन के मकबरे के बीच का क्षेत्र और कोणार्क का सूर्य मंदिर शामिल हैं।

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