अयोध्या के राजा ने कहा; फाइव स्टार होटलों के लिए 100 से ज्यादा आवेदन मिले,’माता सीता ने वापस लिया अपना श्राप’?
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 जनवरी।अयोध्या के राजा ने बताया है कि प्रशासन को शहर में फाइव स्टार होटलों को बनाने के लिए 100 से ज्यादा आवेदन मिले हैं. सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि कुछ सालों तक यहां पर ढंग के होटल भी नहीं हुआ करते थे. राम मंदिर बनकर तैयार होने के बाद से अयोध्या में पर्यटन सेक्टर को बूम मिलने वाला है. अगले साल 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है, जिसके बाद मंदिर आम लोगों के लिए खुल जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा अयोध्या शाही परिवार के सदस्य हैं. इस परिवार का इतिहास राजा दर्शन सिंह के समय का है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने 19वीं सदी में शहर पर शासन किया था. शहर में बिमलेंद्र को लोग राजा साहब के तौर पर जानते हैं. वह राम जन्मभूमि आंदोलन की शुरुआत से ही इसके साथ जुड़े हुए हैं. वह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी हैं, जो मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रहा है.
अयोध्या में नहीं होती है पैर रखने की जगह: बिमलेंद्र मोहन
बिमलेंद्र मोहन ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही अयोध्या में खुशी का माहौल है. अस्थायी मंदिर बन गया था. छुट्टियों के दिन, मंगलवार को या किसी अन्य त्योहार को यहां पैर रखने की जगह नहीं होती है. अयोध्या में कभी ढंग के होटल नहीं होते थे और अब यहां फाइव स्टार होटल खोलने के लिए 100 से ज्यादा आवेदन आए हैं. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने मुझे खुद बताया है.’
हट गया माता सीता का श्राप!
अयोध्या के राजा ने बताया कि शहर को स्मार्ट सिटी के तौर पर तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि पांच साल में लोग सिर्फ दर्शन के लिए नहीं, बल्कि शहर देखने आएंगे. अयोध्या देश की सर्वोत्तम पवित्र नगरी के रूप में जानी जाएगी.’ 22 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर अयोध्या में बड़े पैमाने पर विकास के काम किए जा रहे हैं. शहर को नया एयरपोर्ट मिल रहा है और रेलवे स्टेशन को नया रूप दिया जा रहा है.
अयोध्या शहर में हो रहे चौतरफा विकास को लेकर बिमलेंद्र मोहन ने कहा, ‘ऐसा मालूम पड़ता है कि माता सीता ने अपना श्राप वापस ले लिया है.’ स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम ने अफवाहों के चलते सीता को शहर से बाहर निकाल दिया था, तो उन्होंने अयोध्या को श्राप दिया गया. कई लोगों का मानना है कि इसी श्राप की वजह से कभी भी अयोध्या में तेज गति से विकास नहीं हुआ.
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