राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ के नाम बदले गए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25जुलाई। राष्ट्रपति भवन के दो प्रमुख हॉल के नामों में बदलाव किया गया है। राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल’ का नाम अब ‘गणतंत्र मंडप’ कर दिया गया है, जबकि ‘अशोक हॉल’ का नाम अब ‘अशोक मंडप’ रखा गया है। यह परिवर्तन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के पदभार ग्रहण के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया है।

अशोक हॉल (अशोक मंडप) की विशेषताएं
अशोक हॉल, जिसे अब ‘अशोक मंडप’ के नाम से जाना जाएगा, राष्ट्रपति भवन की सबसे कलात्मक रूप से निर्मित जगह है। यह स्थान महत्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों और विदेशी मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। पहले यह स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग होता था।

फर्श और छत का आकर्षण
फर्श: पूर्ण रूप से लकड़ी का बना है, और इसकी सतह के नीचे स्प्रिंग लगे हुए हैं।
छत: तेल चित्रकला से सुसज्जित है। छत के केंद्र में एक चमड़े की पेंटिंग है जिसमें पारसी शासक फतह अली शाह का अश्वारोही चित्र दिखाया गया है।

दीवारों और झूमर का सौंदर्य
दीवारें: शाही जुलूस का प्रदर्शन करती हैं।
झूमर: बेल्जियम के कांच के झूमर लगे हैं।
अन्य बिंदु: पारसी कवि निजामी और एक फारसी महिला की पेंटिंग, जो दक्षिणी और उत्तरी मेहराब के पीछे रखी गई हैं।
दरबार हॉल (गणतंत्र मंडप) की विशेषताएं
दरबार हॉल, अब ‘गणतंत्र मंडप’, राष्ट्रपति भवन का सबसे भव्य कक्ष है। इसे पहले ‘थ्रोन रूम’ के नाम से जाना जाता था।

ऐतिहासिक महत्व
स्वतंत्रता समारोह: 15 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने यहीं शपथ ली थी।
गवर्नर जनरल की शपथ: 1948 में सी. राजगोपालाचारी ने गवर्नर जनरल के रूप में यहीं शपथ ली।
राष्ट्रपति का सम्मान: राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के निधन पर उन्हें यहीं श्रद्धांजलि दी गई थी।

वास्तुकला और सजावट
दीवारें: 42 फुट ऊंची, सफेद मार्बल से सजी हुई हैं।
गुंबद: परिधि में 22 मीटर और भूमि से 25 मीटर ऊपर।
झूमर: 33 मीटर ऊंचाई वाला बेल्जियम कांच का झूमर।
स्तंभ: सफेद शीर्ष और सतह युक्त पीले जैसलमेर मार्बल से बने।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति भवन हॉल के नाम बदले जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने कहा, “अशोक अच्छा नाम है।”

यह नाम परिवर्तन भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। राष्ट्रपति भवन के इन दो महत्वपूर्ण हॉल्स के नए नाम उन्हें एक नए पहचान को दर्शाते हैं।

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