समग्र समाचार सेवा
इस्लामाबाद, 10 अप्रैल। पाकिस्तान में विपक्षी दल इमरान खान को सत्ता से बाहर करने में सफल हो गए। रविवार को 174 मतों के साथ नेशनल असेंबली अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ और खान इस तरह सरकार गंवाने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। फिलहाल, मुल्क में नए प्रधानमंत्री को लेकर तैयारियां जारी हैं। अब इमरान तो वजीर-ए-आजम नहीं रहे, लेकिन उनका करीब 4 साल का कार्यकाल नए पीएम के लिए चुनौतियां खड़ी करता दिख रहा है।
पहलाः देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान में इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का बड़ा कारण ही बिगड़ रही अर्थव्यवस्था को माना गया। फिलहाल, देश पर 130 बिलियन डॉलर यानि जीडीपी कि 43 फीसदी का कर्ज है। वहीं, महंगाई भी 12 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है और पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 190 पर आ गया है।
दूसराः आतंकवाद पर कसनी पड़ेगी नकेल
हाल ही के समय में पाकिस्तान तालिबान ने भी हमले तक कर दिए हैं। कार्यकाल के दौरान इमरान ने बातचीत की कोशिश तो की, लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ बीते साल चर्चा सफल नहीं हुई और महीनों के बाद संघर्ष विराम खत्म हो गया। जानकारों के अनुसार, इस समस्य को लेकर आगामी सरकार के पास भी इसके लिए कोई आसान समाधान नहीं है। इधर, बलूचिस्तान में अलगाववादी बेहतर अर्थव्यवस्था की मांग कर रहे हैं।
तीसराः अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ठीक करना
सत्ता संघर्ष के बीच इमरान खान ने सरकार गिराने की कोशिश में अमेरिकी साजिश होने का दावा किया था। इसपर अमेरिका की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई थी। अब इमरान के इस बयान के बाद नई सरकार को अमेरिका से भी रिश्ते सुधारने की ओर काम करना होगा। खबर है कि पीटीआई नेता की मॉस्को यात्रा के चलते भी पाकिस्तान के रिश्ते पश्चिम देशों से खराब हुए हैं। इसके अलावा जब अन्य देश बीजिंग विंटर ओलंपिक्स का विरोध कर रहे थे, तब इमरान कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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