भुवन “युक्तधारा” के अंतर्गत नए पोर्टल से रिमोट सेंसिंग और जीआईएस आधारित सूचनाओं का उपयोग करते हुए नई मनरेगा परिसंपत्तियों की योजना बनाने में सुविधा प्राप्त होगी : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
"यह प्लेटफॉर्म विभिन्न राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रमों यानी मनरेगा, एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि के अंतर्गत बनाई गई परिसंपत्तियों (जियोटैग) के भंडार के रूप में कार्य करेगा, जिसमें फील्ड फोटोग्राफी भी शामिल है"
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 अगस्त। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भुवन “युक्तधारा” के अंतर्गत आज जारी किए गए नए पोर्टल से रिमोट सेंसिंग और जीआईएस आधारित जानकारियों का उपयोग करते हुए नई मनरेगा परिसंपत्तियों की योजना बनाने में सुविधा प्राप्त होगी। मंत्री ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म विभिन्न राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रमों यानी मनरेगा, एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि के अंतर्गत बनाई गई परिसंपत्तियों (जियोटैग) के भंडार के रूप में कार्य करेगा, जिसमें फील्ड फोटोग्राफी भी शामिल है।
श्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राजमंत्री द्वारा “युक्तधारा” भू-स्थानिक योजना पोर्टल का शुभारंभ किया गया, इस अवसर पर डॉ. सिंह ने कहा कि इसका नामाकरण बहुत ही सही प्रकार से किया गया है क्योंकि ‘युक्त’ शब्द योजनम् से लिया गया है, योजना और ‘धारा’ अनवरत प्रवाह को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह इसरो और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अथक प्रयासों का परिणाम है, जो विकेन्द्रीकृत निर्णय लेने के समर्थन में ग्रामीण योजनाओं के लिए जी2जी सेवा को साकार करने के लिए किया गया है।
डॉ. सिंह ने इसरो के जियोपोर्टल ‘भुवन’ की क्षमताओं और सेवाओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी समृद्ध सूचना आधार, सैटेलाइट इमेज और विश्लेषणात्मक क्षमताओं के कारण, भुवन, वास्तविक रूप से देश की कई विकास योजना गतिविधियों के लिए एक वस्तुतः भू-स्थानिक मंच बन गया है।
मंत्री ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि यह पोर्टल विभिन्न प्रकार की थीमेटिक परतों, मल्टी-टेम्पोरल हाई रेजोल्यूशन अर्थ ऑब्जर्वेशन डेटा को, विश्लेषण उपकरणों के साथ एकीकृत करता है। योजनाकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पिछली परिसंपत्तियों का विश्लेषण किया जाएगा और वे ऑनलाइन उपकरणों के माध्यम से नए कार्यों की पहचान करने हेतु सुविधा प्रदान करेंगे। राज्य के विभागों के अंतर्गत आने वाले उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा तैयार की गई योजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा। इस प्रकार से,युक्तधारा आधारित योजनाएं निचले स्तर के पदाधिकारी द्वारा तैयार की जाएंगी और प्रासंगिकता और संसाधन आवंटन के लिए इसे उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाएगा। इसके माध्यम से योजना की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी और वर्षों से सृजित किए गए परिसंपत्तियों की दीर्घकालिक निगरानी संभव हो सकेगी।
मंत्री ने कहा कि भुवन पर जियो मनरेगा को व्यापक रूप से ख्याति प्राप्त हुई है। परिसंपत्तियों की बिफोर-ड्यूरिंग-आफ्टर जियोटैगिंग द्वारा ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण की प्रक्रिया में प्रगति आधारित फंड वितरण को सफलतापूर्वक लागू किया गया है।इसके साथ ही,एक नागरिक केंद्रित मोबाइल एप्लिकेशन, जन-मनरेगा ने भुवन सेवाओं का उपयोग करके ग्रामीणलोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने की दिशा में सहायता प्रदान की है।मंत्री का मानना है कि भौगोलिक सूचना एवं भू-प्रेक्षण प्रौद्योगिकी के तालमेल के साथ न केवल प्रत्येक ग्रामीण परिसंपत्तियों का स्थानीय मूल्य निर्धारित किया गया है,बल्कि मनरेगा कार्यक्रम में अभूतपूर्व पारदर्शिता का भी निर्माण किया गया है।
डॉक्टर सिंह ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की संसाधित आवश्यकताओं के अनुसार उनका भुवन पर अनुकूलित होना, राज्यकर्मियों द्वारा इसमें लगातार हाथ बंटाना और जिओ-मनरेगा डाटाबेस के निर्माण की प्रौद्योगिकी को अपनाने में राज्य के विभागों के कर्मचारिया द्वारा दिखाया गया उत्साह बहुतही उल्लेखनीय है और यह पूरी दुनिया में व्यापक रूप से किया गया अपने प्रकार का पहला अभ्यास है।
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