“राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को तोड़-मरोड़ रही है विपक्ष”: सुधांशु त्रिवेदी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 अप्रैल।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए उन पर संविधान की मर्यादा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उन्होंने हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर उठे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “विपक्ष अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए संविधान की आत्मा को छलनी कर रहा है।”

संसद से पारित वक्फ अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिवेदी ने कहा, “यह कानून संसद में विधिवत रूप से प्रस्तुत हुआ, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा जांचा-परखा गया, दोनों सदनों में बहस के बाद पारित हुआ और अंततः राष्ट्रपति की स्वीकृति भी प्राप्त हुई। फिर भी विपक्षी दल अदालतों की ओर भाग रहे हैं, मानो उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास खो दिया हो।”

उन्होंने विपक्ष पर तीखा तंज कसते हुए कहा, “कुछ पार्टियां तो उस वक्त ही कोर्ट पहुंच गईं जब संसद में विधेयक पर बहस भी पूरी नहीं हुई थी। यह न सिर्फ संवैधानिक प्रक्रिया का अपमान है, बल्कि न्यायपालिका पर भी एक तरह का दबाव बनाने की कोशिश है।”

डॉ. त्रिवेदी ने इसे ‘प्रतिस्पर्धात्मक याचिकाकरण’ (competitive petitioning) करार दिया और कहा, “हर पार्टी अलग-अलग याचिका दायर कर रही है, जिससे साफ झलकता है कि उनमें आपसी विश्वास की कमी है। यह मामला संवैधानिक सवाल से अधिक राजनीतिक बढ़त हासिल करने का प्रयास प्रतीत होता है।”

उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया है, तो अब उन्हें अदालत के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। “न्यायपालिका में विश्वास दिखाने की बजाय राजनीतिक बयानबाजी करना न केवल न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करता है, बल्कि अदालत की गरिमा के भी खिलाफ है।”

इस पूरे विवाद की गूंज जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी सुनाई दी, जहां नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने प्रश्नकाल स्थगित करने से इनकार कर दिया, जिसके चलते सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिवेदी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर या तमिलनाडु जैसे राज्यों द्वारा संसद से पारित कानूनों की आलोचना करना असंवैधानिक है। विधानसभा में विधेयक को फाड़ना संविधान की आत्मा को फाड़ने के समान है।”

उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा, “ये वही लोग हैं जो संविधान को जेब में लेकर घूमते हैं, लेकिन उसे तभी याद करते हैं जब उनके राजनीतिक एजेंडे को समर्थन देना होता है।”

अंत में त्रिवेदी ने दोहराया कि केंद्र सरकार ने पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया है और उसे सर्वोच्च न्यायालय से न्याय की पूर्ण आशा है। “हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। कानून पूरी तरह से संविधान की मर्यादा में बनाया गया है, और हमें विश्वास है कि न्यायपालिका भी इसे स्वीकार करेगी।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब देश भर में वक्फ संशोधन कानून को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस तेज है। सरकार जहां इसे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमले के तौर पर देख रहा है।

संविधान की व्याख्या और उसके प्रयोग को लेकर यह टकराव आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।

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