अरविंद भारद्वाज।
दहशरे पर नीलकण्ड के दर्शन को शुभ माना जाता है। नीलकंठ पक्षी पर कहा गया है कि, नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो। इन पंक्तियों में नीलकंठ को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है।
नीलकंठ का महत्व !
दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं। सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है। कहते हैं श्रीराम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है। नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है। भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं।
किसानों का मित्र नीलकंठ पक्षी !
वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है, क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवाला भी होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवाली करता है।
शामी के पेड़ का महत्व !
विजयादशमी पर रावण दहन के बाद कई प्रांतों में शमी के पत्ते को सोना समझकर देने का प्रचलन है, तो कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा का प्रचलन। अश्विन मास के शारदीय नवरात्र में शक्ति पूजा के नौ दिन बाद दशहरा अर्थात विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। असत्य पर सत्य की विजय केे प्रतीक इस पर्व के दौरान रावण दहन और शस्त्र पूजन के साथ शमीवृक्ष का भी पूजन किया जाता है। संस्कृत साहित्य में अग्नि को ‘शमी गर्भ ‘के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करते आए हैं। खासकर क्षत्रियों में इस पूजन का महत्व ज्यादा है। महाभारत के युद्ध में पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे और बाद में उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई थी।
नीलकंठ देखने पर इस मंत्र का जाप करें !
विजयदशमी पर्व के दिन नीलकंठ पक्षी के दिखने पर इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए !
‘कृत्वा नीराजनं राजा बालवृद्धयं यता बलम्।
शोभनम खंजनं पश्येज्जलगोगोष्ठसंनिघौ।।
नीलग्रीव शुभग्रीव सर्वकामफलप्रद।
पृथ्वियामवतीर्णोसि खञ्जरीट नमोस्तुते।।’
अरविंद भारद्वाज( प्रचार प्रमुख, भारतीय किसान संघ,आनुषांगिक संगठन,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
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