जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक बुद्धवार को नई दिल्ली में हुई आयोजित

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,04जुलाई। जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक नई दिल्ली के भारत मंडपम में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता माननीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने की। निवर्तमान अध्यक्ष जापान के माननीय उप मंत्री हिरोशी योशिदा और अगले अध्यक्ष सर्बिया की माननीय मंत्री जेलेना बेगोविच ने भी बैठक को संबोधित किया। बैठक में ओईसीडी के विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के निदेशक जेरी शीहान और यूनेस्को के सहायक महानिदेशक डॉ. तौफिक जेलासी ने भी भाग लिया।

व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद सभी सदस्यों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) के भविष्य के दृष्टिकोण पर आम सहमति जताई। भविष्य के दृष्टिकोण में शामिल मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

1. हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की बदलावकारी क्षमता को पहचानना। सतत विकास को हासिल करने की दिशा में प्रगति को एक सुरक्षित, सुदृढ़ एवं भरोसेमंद एआई प्रणाली द्वारा रफ्तार देने एवं उसे सक्षम करने के अवसरों को पहचानना और एआई का फायदा उठाने के लिए समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के महत्व को पहचानना।

2. एआई प्रणाली और विशेष रूप से उन्नत एआई प्रणाली द्वारा पैदा हो रहे जोखिमों और चुनौतियों को स्वीकार करना। इनमें सुरक्षा और संभावित दुरुपयोग, गलत सूचना, भेदभाव को जन्म देने वाले नुकसानदेह पूर्वाग्रह, पारदर्शिता एवं निष्पक्षता का अभाव, सभी के लिए समान अवसर की कमी, बौद्धिक संपदा एवं व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के लिए जोखिम, मानवाधिकार एवं बच्चों के कल्याण के लिए खतरे, पर्यावरण संबंधी निरंतरता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए जोखिम, विभिन्न देशों के बीच व उनके भीतर डिजिटल विभाजन का बढ़ना और भविष्य के कार्य में बदलाव शामिल हैं।

3. एक मजबूत वैज्ञानिक आधार, खुले समाधान और साझा मानकों पर निर्भर एक समावेशी एवं विभिन्न हितधारकों वाले दृष्टिकोण के जरिये भरोसेमंद और मानव-केंद्रित एआई को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ता जाहिर करना। इस दिशा में विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्थाओं सहित सरकारों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, तकनीकी समुदाय, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जताना।

4. कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर ओईसीडी की सिफारिशों और एआई की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिशों के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता जाहिर करना।

5. ध्यान रखना कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी अपनी शुरुआत के बाद से ही एआई पर वैश्विक बहु-हितधारक सहयोग के लिए एक अनूठी पहल रही है।

6. नई दिल्ली 2023 जीपीएआई मंत्रिस्तरीय घोषणा को मान्यता देना। इसमें एआई नवाचार एवं प्रशासन पर वैश्विक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एक नोडल पहल के रूप में जीपीएआई की अनूठी और स्वतंत्र पहचान को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करना। साथ ही साझा मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विचार एवं अनुभव और विशेषज्ञता की एक व्यापक श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों पर विशेष ध्यान देते हुए सदस्यता में विविधता लाने के लिए प्रतिबद्धता।

7. जीपीएआई के भविष्य और इसके प्रशासन एवं परिचालन के तौर-तरीकों की अवधारणा निर्धारित करने की दिशा में ‘जीपीएआई के भविष्य के लिए लघु कार्य समूह’, जीपीएआई सचिवालय एवं कार्यकारी परिषद में सामूहिक योगदान पर ध्यान देना।

8. जीपीएआई की स्थापना के बाद से ही उसे ओईसीडी द्वारा लगातार दिए जा रहे समर्थन को स्वीकार करना। साथ ही मानव-केंद्रित, सुरक्षित, सुदृढ़ एवं भरोसेमंद एआई की प्रगति के लिए जीपीएआई और ओईसीडी के बीच तालमेल को बेहतर करने के लिए साझा प्रतिबद्धता जाहिर करना।

9. ओईसीडी के साथ एकीकृत साझेदारी के जरिये जीपीएआई के लिए एक नए दृष्टिकोण की घोषणा करना। इसमें ओईसीडी के सभी मौजूदा सदस्यों और जीपीएआई देशों को जीपीएआई ब्रांड के तहत और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर ओईसीडी की सिफारिशों के आधार पर समान स्तर पर लाने की घोषणा।

10. सभी की भलाई के लिए मानव-केंद्रित, सुरक्षित, सुदृढ़ एवं भरोसेमंद एआई की क्षमता का दोहन करने के लिए सभी देशों से जीपीएआई अथवा ओईसीडी में उनकी मौजूदा सदस्यता की परवाह किए बिना सभी देशों से इस सहयोगात्मक प्रयास में शामिल होने का आह्वान करना।

11. एक समावेशी वार्ता के जरिये अनौपचारिक तौर पर प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसियों और अन्य भागीदारों के साथ काम करने की कोशिश करना।

12. इस बात पर जोर देना कि एकीकृत भागीदारी के सदस्य नए सदस्यों एवं पर्यवेक्षकों को शामिल करने के साथ-साथ उनकी भागीदारी के कार्यों की प्राथमिकताओं पर आम सहमति जाहिर करना।

13. इस बात पर जोर देना कि एकीकृत भागीदारी के सभी सदस्य भागीदारी संबंधी गतिविधियों और उसके निर्णय लेने की प्रक्रिया में बिना किसी भेदभाव अथवा असमानता के समान रूप से भाग लेंगे।

14. भागीदारी के गवर्निंग बॉडी के तौर पर काउंसिल, प्लेनरी और स्टीयरिंग ग्रुप के जरिये एकीकृत भागीदारी के सभी स्तरों पर समावेशी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करना।

15. जीपीएआई के बहु हितधारक स्वभाव को बनाए रखने और उसे मजबूती देने के अलावा सदस्य-विशेषज्ञ सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करना। इसमें जीपीएआई विशेषज्ञ सहायता केंद्र (ईएससी) की सक्रिय भूमिका और जीपीएआई के बहु हितधारक विशेषज्ञ समूह (एमईजी) एवं एआई पर विशेषज्ञों के ओईसीडी नेटवर्क (ओएनई एआई) और उनके मौजूदा विशेषज्ञ/ कार्य समूहों को साझेदारी के एकल विशेषज्ञ समुदाय में लाना शामिल है।

16. ध्यान रखना कि एकीकृत भागीदारी सभी सदस्यों की ओईसीडी में उनकी सदस्यता के इतर समान स्थिति के आधार पर आम सहमति बनाते हुए अपनी खास कार्य पद्धतियों के विकास पर विचार कर सकती है।

17. विभिन्न देशों के भीतर और उनके बीच डिजिटल विभाजन को पाटने, सुरक्षित, मजबूत एवं भरोसेमंद एआई को बढ़ावा देने और जी20 व जी7 जैसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों द्वारा शुरू की गई एआई संबंधी पहलों के साथ तालमेल बढ़ाने में एकीकृत भागीदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करना। इसमें हिरोशिमा एआई प्रॉसेस, काउंसिल ऑफ यूरोप, 2023 ब्लेचली पार्क एआई सुरक्षा शिखर सम्मेलन, 2024 एआई सियोल शिखर सम्मेलन और आगामी 2025 फ्रांस एआई एक्शन शिखर सम्मेलन शामिल हैं।

18. भविष्य के हमारे साझा दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए एकीकृत भागीदारी के जरिये रचनात्मक वार्ता को बनाए रखने के लक्ष्य की पुष्टि करना। इसमें एआई का उपयोग सभी की भलाई के लिए किया जाता है, किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाता और शांति, समृद्धि एवं सतत विकास को बढ़ावा दिया जाता है।

19. जीपीएआई सदस्यों द्वारा 2024-25 के लिए जीपीएआई के अध्यक्ष के रूप में सर्बिया के चुनाव का स्वागत करना और इस वर्ष के अंत में सर्बिया में होने वाले जीपीएआई शिखर सम्मेलन की तैयारी करना।

साल 2024 की जीपीएआई नई दिल्ली बैठक और जीपीएआई के भविष्य पर बनी आम सहमति वैश्विक एआई चर्चा में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करती है। यह एआई के नैतिक एवं समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को मजबूती देती है।

यह ‘सभी की भलाई ओर सभी के लिए एआई’ की क्षमता का दोहन करने के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए नए सिरे से एकीकृत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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