’शाख से टूटे पत्तों ने पलकें उठा आंधियों से कहा शुक्रिया
तुम न होते तो कैसे अपने खून से करते इस जमीं को ऊर्वरा’
24 की चुनावी टंकार शनैः शनैः चहुंओर दिगंत में सियासी झंकार पैदा करने लगी है, अभी-अभी हरियाणा के समालखा में संघ की अहम प्रतिनिधि सभा की बैठक खत्म हुई है, बैठक में भाजपा सरकारों के कामकाज को लेकर गहन मंथन का दौर चला। भाजपा के कई मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठे, उनकी भी चर्चा हुई जिनके दामन पर लगातार भ्रष्टाचार के छीटें पड़ रहे हैं। कहते हैं संघ ने कम से कम भाजपा शासित राज्यों के दो मुख्यमंत्रियों और आधा दर्जन से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों को बदले जाने का सुझाव दिया है, शायद यही वजह रही हो कि बीच विधानसभा सत्र से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली तलब कर लिया गया, हाईकमान ने उनके समक्ष कई सवालों की फेहरिस्त पेश कर दी और सुबोध उनियाल समेत उनके कई विकल्पों पर विचार भी किया गया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी लगभग अपना दो टर्म पूरा कर चुके हैं, दिल्ली आकर वे भी अमित शाह से मिले। माना जा रहा है कि खट्टर अपनी ओर से अपने विकल्प के तौर पर करनाल के सांसद संजय भाटिया का नाम सुझा रहे हैं, वहीं सूत्रों का दावा है कि ’पार्टी शीर्ष अपनी ओर से एक चौंका देने वाला नाम सामने ला सकता है।’ संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मनोहर लाल के विकल्प के तौर पर गुजरात के मौजूदा गवर्नर आचार्य देवव्रत का नाम भी प्रमुखता से चल रहा है। वे काफी लंबे समय से संघ से जुड़े रहे हैं और हरियाणा में आर्य समाज के बड़े नेताओं में शुमार होते हैं। माना जाता है कि 31 मार्च से पहले कभी भी इन दोनों राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा लगभग 8 केंद्रीय मंत्रियों को भाजपा संगठन में भेजने की तैयारी है, यह कार्य भी 15 मई से पहले कभी भी हो सकता है।
वरुण ने ऑक्सफोर्ड को क्यों कहा ’ना’
भाजपा नेता वरुण गांधी अपने चचेरे भाई राहुल गांधी से दीगर विदेशी मंचों पर भारत का नया चेहरा-मोहरा पेश करने में किंचित बहुत सावधानी बरत रहे हैं। एक ओर जहां लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय समेत तीन अन्य मौकों पर राहुल गांधी ने भारत में लोकतंत्र को खतरे में बता डाला वहीं वरुण ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के उस आमंत्रण को ठुकरा दिया जिसमें उन्हें मोदी के नेतृत्व में भारत कितना सफल है, इस डिबेट यानी वाद-विवाद में हिस्सा लेना था। वरुण को यह आमंत्रण ‘ऑक्सफोर्ड यूनियन’ के प्रेसिडेंट मैथ्यू डिक के ऑफिस से भेजा गया था। वरुण को पहले यह आमंत्रण एक ई-मेल द्वारा प्राप्त हुआ, इसके बाद उनसे मैथ्यू के सहायक सुल्तान खोखर ने फोन पर भी संपर्क साधा। ऐसे वक्त में जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंदन जाकर वहां यह अलख जगा रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में हैं, वरुण का ऑक्सफोर्ड यूनियन के प्रस्ताव के विरोध में बोलने से इंकार करने के कई सियासी माएने निकाले जा सकते हैं। जैसा कि वरुण ने ऑक्सफोर्ड यूनियन को लिखे अपने जवाब में भी कहा है-’मेरा मानना है कि ऐसे विषय देश की परिधि में रह कर और यहां के नीति निर्धारकों के बीच ही उठाए जाने चाहिए, विदेशी मंच इसके लिए उपयुक्त जगह नहीं है।’ वरुण अपनी निजी बातचीत में जोर देकर इस बात को दुहराते हैं कि ‘भारत के बारे में ऐसी नकारात्मक और भ्रामक बातें विदेशी धरती पर कहना एक तरह का राष्ट्रद्रोह ही है।’ पीलीभीत के यह भाजपा सांसद अपने बड़े भाई को एक तल्ख संदेश देना चाहते हैं, और यह बात उनके पार्टी शीर्ष को भी खुश कर सकती है।
निशिकांत बनाम महुआ का विवाद गहराया
भाजपा के गोड्डा के उत्साही सांसद निशिकांत दुबे और तृणमूल नेत्री व सांसद महुआ मोईत्रा के दरम्यान वाकई तलवारें खींच चुकी हैं। संसद के मौजूदा सत्र में भी इन दोनों सांसदों में जमकर तकरार देखने को मिल रही है। कहते हैं इस पूरे विवाद को लुत्ती महुआ की ओर से लगाई गई, जिन्होंने खम्म ठोक कर ट्वीट कर दिया कि ’दुबे की एमबीए और पीएचडी की डिग्री फर्जी है, सो क्यों नहीं सांसद की सदस्यता रद्द की जाए।’ निशिकांत दुबे ने बेहद दार्शनिक अंदाज में अपने एक ट्वीट से इन आरोपों का जवाब देते हुए लिखा-’मैं दोस्ती व दुश्मनी बड़ी शिद्दत से निभाता हूं।’ महुआ ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर निशिकांत दुबे की डिग्री को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल 2020 में झारखंड उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति दान्याल दानिश ने एक पीआईएल दाखिल कर कहा कि ’निशिकांत दुबे ने अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर जो जानकारियां दी हैं उसका आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से मिलान ही नहीं होता।’ महुआ ने भी अपने ट्वीट में यही सवाल उठाया है कि दुबे ने 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव के अपने शपथ पत्र में दावा किया है कि वे दिल्ली विश्वविद्यालय से पार्ट टाइम एमबीए हैं, पर स्वयं दिल्ली विश्वविद्यालय 27 अगस्त 20 के अपने जवाबी पत्र में कहता है कि ‘इस नाम का कोई भी व्यक्ति न तो उनके एमबीए प्रोग्राम में दाखिल हुआ है और न ही पास हुआ है।’ इसी कड़ी में महुआ यह भी सवाल उठाती हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव के एफिडेविट में माननीय सांसद ने सिर्फ अपनी ’पीएचडी इन मैनेजमेंट’ का जिक्र किया है, वह भी राजस्थान के प्रताप यूनिवर्सिटी से, अब महुआ सवाल उठाती है कि कोई भी व्यक्ति यूजीसी डीम्ड यूनिवर्सिटी से बिना मान्य मास्टर्स डिग्री के कैसे पीएचडी हासिल कर सकता है?’ आने वाले दिनों में निशिकांत महुआ पर जवाबी पलटवार कर सकते हैं।
प्रियंका को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारियां
आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन में प्रियंका गांधी को और भी महती जिम्मेदारियां मिल सकती है। लगता है खड़गे अपनी नई टीम में उन्हें फिर से महासचिव बनाए रख सकते हैं। इसके अलावा उन्हें मध्य प्रदेश जैसे अहम राज्य का चुनाव प्रभारी भी बनाया जा सकता है। साथ ही उन्हें हिमाचल प्रदेश के कोऑर्डिनेशन का जिम्मा भी सौंपा जा सकता है। दरअसल, खड़गे चाहते हैं कि ’प्रियंका को संगठन महासचिव बना कर संगठन में और भी प्रभावी किया जाए।’ पर सोनिया और राहुल को डर है कि इससे भाजपा को उन पर हमलावर होने का मौका मिल जाएगा कि ’कांग्रेस में शीर्ष का केवल चेहरा बदला है, वरना पार्टी के तमाम अहम फैसले अब भी गांधी परिवार ही ले रहा है।’
वसुंधरा ने हार नहीं मानी है
पिछले दिनों वसुंधरा राजे सिंधिया ने अपने कोर ग्रुप की एक अहम बैठक बुलाई, सूत्रों की मानें तो उस बैठक में यह तय हुआ कि ’राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया अभी से शुरू हो जानी चाहिए।’ बैठक में यह तय हुआ है कि सबसे पहले सीट दर सीट मजबूत दावेदारों की एक लिस्ट तैयार की जाए, एक सीट के लिए 5 से 7 नाम तक आ सकते हैं। इसके बाद हर सीट पर जमीनी सर्वेक्षण कर सबसे योग्य उम्मीदवार का नाम सामने लाया जाए। फिर 200 सीटों के लिए प्रत्याषियों की एक फाइनल सूची तैयार कर दिल्ली हाईकमान के पास भेजा जाए। वसुंधरा ने साफ कर दिया है कि ’वह हर सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगी,’ कहते हैं वसुंधरा ने अपने कोर ग्रुप की बैठक में खुल कर अपनी भावनाओं का इजहार किया कि ’मैं हर टिकट के लिए अपनी दोवदारी पेश करूंगी और अंत तक हार नहीं मानूंगी, देवी ने दो बार मुख्यमंत्री बनाया है, तीसरी बार भी बना देंगी।’
दिले नादां तुझे हुआ क्या है?
भाजपा के एक बेहद ताकतवर महासचिव पर लगता है अभी भी फागुन का रंग चढ़ा हुआ है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश की एक महिला सांसद उनसे किसी कार्यवश मिलने उनके घर पहुंची तो नेताजी अलग ही मूड में थे। उन्होंने उस महिला सांसद को निहारते हुए कहा कि ’आपको हमेशा ही साड़ी और पल्लू में ही देखा है, आप कभी कोई मॉडर्न ड्रेस क्यों नहीं ट्राई करतीं। यह सुनते ही वह महिला सांसद गुस्से से आग-बबूला हो गईं और उन्होंने महासचिव महोदय को दो टूक कहा कि ’उनकी इस बदतमीजी की शिकायत वह मोदी जी से करेंगी।’ यह कह कर वह तेजी से वहां से निकल गईं, महासचिव महोदय भी उल्टे पांव सीधे पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के पास पहुंचे और पार्टी अध्यक्ष से उस महिला सांसद की शिकायत करते हुए कहा कि ’वह मुझसे बदतमीजी कर रही थीं तो मैंने डांट लगा दी, आप जरा मामला संभाल लेना, बात ऊपर तक न पहुंचे।’
…और अंत में
राहुल गांधी के लंदन में दिए गए भाशण पर बवाल मचा है, वहीं लंदन जाने से पहले राहुल अपने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले थे। खड़गे ने राहुल से कहा कि ’जब वे तीन-चार दिनों बाद लंदन से दिल्ली लौट आएंगे तो फिर वे टोलियों में उन चंद नेताओं को राहुल से मिलने भेजेंगे, जिन राज्यों में चुनाव होने हैं।’ राहुल ने हंस कर कहा-’मैं जरा देर में लौटूंगा, आपने देखा है कि हर अच्छी गाड़ी भी 3 महीने के बाद सर्विसिंग के लिए भेजनी पड़ती है।’ खड़गे भी हैरत से राहुल का मुंह तकते रह गए।
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