चंद्रयान-3 और डीएनए वैक्सीन की दोहरी सफलता की कहानियों ने भारत की वैज्ञानिक बिरादरी को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर दिया है: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 अक्टूबर। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 और डीएनए वैक्सीन की दोहरी सफलता की कहानियों ने भारत की वैज्ञानिक बिरादरी को वैश्विक स्तर पर वहां स्थापित कर दिया है, जहां विकसित देश भी हमसे सीख ले रहे हैं।

नई दिल्ली में इंस्पायर- मानक (आईएनएसपीआईआरई–एमएएनएके) सम्मान समारोह की 10वीं राष्ट्रीय स्तरीय प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) में अपने सम्बोधन में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक ​​विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का प्रश्न है तो प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में यह भारत के लिए सबसे अच्छा समय है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3, आदित्य एल1 और कोविड टीकों की सफलता की कहानियों ने भारत की छवि में बड़े बदलाव में योगदान दिया है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हें सभी देशों के साथ साझा करने के लिए वैश्विक सामग्री घोषित किया था। उन्होंने कहा कि यह भी याद किया जा सकता है कि भारत ने 100 से अधिक देशों को टीके उपलब्ध कराए और सीओडब्ल्यूआईएन (कोविन) ऐप के माध्यम से वितरण तंत्र भी साझा किया।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर चर्चा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिस तरह से भारत इस क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभों में से एक बनकर उभरेगी और 2040 तक वर्तमान 8 अरब डॉलर से बढ़कर 40 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। मंत्री महोदय ने कहा कि कई और विविध अंतरिक्ष मिशनों और अनुप्रयोगों के कारण अंतर्राष्ट्रीय अनुमान 2040 तक 100 अरब डॉलर की सीमा में हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इंस्पायर-मानक (आईएनएसपीआईआरई- एमएएनएके- मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन्स एंड नॉलेज) प्रतियोगिता के लिए देश भर से 7 लाख प्रविष्टियाँ आई थीं। इनमें 53 प्रतिशत भागीदारी नवप्रवर्तकों (गर्ल इनोवेटर्स) की थी जबकि 83 प्रतिशत प्रविष्टियाँ ग्रामीण क्षेत्रों से थीं।

मंत्री को यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि 83 प्रतिशत प्रविष्टियाँ ग्रामीण क्षेत्रों से थीं और यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को ग्रामीण इलाकों और आकांक्षी जिलों और विकास खंडों (ब्लॉक्स) के द्वार तक ले जाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की पुष्टि है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे बच्चों को सही प्रकार के परामर्श के माध्यम से विचारों के आदान-प्रदान एवं नवाचार (आइडिया एक्सचेंज एंड इनोवेशन) के विश्व स्तर के सर्वश्रेष्ठ इकोसिस्‍टम तक पहुंचने में सक्षम बनाएं। उन्होंने कहा कि 440 प्रदर्शकों में से 60 युवा नवप्रवर्तक (इनोवेटर्स) 2047 तक भारत को एक वैश्विक तकनीकी केंद्र बनाने में योगदान देने के लिए अमृतकाल में उस समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जब भारत अपनी स्वतन्त्रता के सौ वर्ष पूरे करेगा।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि युवा उपलब्धि प्राप्त करने वालों ने अपने ऐसे उत्पादों और अनुप्रयोगों को डिजाइन किया है जो दैनिक उपयोग के हैं और स्थानीय समस्याओं को हल करने और आम आदमी के लिए जीवन में सहजता लाने के उद्देश्य से विज्ञानं और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) का उपयोग करने के प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप हैं।

आईएनएसपीआईआरई-एमएएनएके की 10वीं राष्ट्रीय स्तरीय प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) का उद्घाटन सोमवार, 9 अक्टूबर को किया गया था, जिसमें देश भर के स्कूलों के 441 चयनित छात्रों के अभिनव विचारों को प्रदर्शित किया गया।

दो दिन अर्थात् 09-10 अक्टूबर, 2023 को आयोजित इस प्रदर्शनी में नवाचारों ने किसानों के लिए प्रौद्योगिकियों, स्वच्छता और स्वच्छता, महिलाओं के लिए सुरक्षा और संरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा आदि जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया। यह अब जनता के लिए खुली है।

वर्ष 2021-22 के दौरान देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कुल 7.05 लाख विचार और नवाचार प्राप्त हुए। इस योजना ने 124 आकांक्षी जिलों सहित देश के 715 जिलों (98 प्रतिशत) के विचारों और नवाचारों का प्रतिनिधित्व करके समावेशिता के एक अद्वितीय स्तर को छुआ। प्रतिभागियों में 53 प्रतिशत प्रतिनिधित्व लड़कियों का था। भाग लेने वाले लगभग 83 प्रतिशत स्कूल ग्रामीण परिवेश से थे और 72 प्रतिशत भाग लेने वाले स्कूल राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी स्कूलों से थे।

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन- एनआईएफ) के अध्यक्ष पी.एस. गोयल; एनआईएफ के निदेशक डॉ. अरविंद सी. रानाडे, निदेशक; इंस्पायर –प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में वैज्ञानिक– जी. डॉ. नमिता गुप्ता ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखी।

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