पूरी दुनिया एक परिवार है यह मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण के बीच आपसी तालमेल के साथ सह-अस्तित्व को दर्शाता है- परशोत्तम रुपाला
केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने सोमवार को नयी दिल्ली में पशु स्वास्थ्य सम्मेलन)का उद्घाटन किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19दिसंबर। केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने सोमवार को नयी दिल्ली में पशु स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया जो कि पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिक टीकाकरण और सटीक नैदानिक सुविधाओं के क्षेत्र में अग्रणी खोज को दर्शाता है। पशुपालन और डेयरी विभाग और इंडियन इम्यूनोलोजीकल लिमिटेड (आईआईएल) ने मिलकर नवीन टीकाकरण और बेहतर नैदानिक व्यवस्था के साथ पशु स्वास्थ्य क्षेत्र को नया आकार देने के लिये सम्मेलन का आयोजन किया।
परशोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में ‘‘एक स्वास्थ्य’’ अवधारणा के महत्व पर जोर दिया, जिसकी भारतीय परंपरा और संस्कृति में जड़ें काफी गहरी हैं और जो सभी जीवों के आंतरिक तौर पर परस्पर जुड़े होने का उदाहरण पेश करता है। उन्होंने ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की अवधारणा का अर्थ समझाते हुये कहा कि पूरी दुनिया एक परिवार है यह मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण के बीच आपसी तालमेल के साथ सह-अस्तित्व और आंतरिक तौर पर जुड़े होने के महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने भारत के व्यापक टीकाकरण प्रयासों और प्रमुख बीमारियों को समाप्त करने की प्रतिबद्धता, महामारी के समक्ष तैयारियों और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की बात करते हुये कहा कि यह पशुओं और जन स्वास्थ्य दोनों की बेहतरी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पशुपालन आयुक्त डा. अभिजीत मित्रा ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आने वाला समय देश के लिये बहुत महत्वपूर्ण है और उन्होंने पशुओं में होने वाली बीमारियों से रोकथाम के लिये टीकों के साथ तैयारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने टीका विनिर्माताओं से नई और नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी तथा वैक्सीन प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हुये लागत- प्रभावी और सक्षम टीका उत्पादन का आग्रह किया ताकि पशुपालक किसानों उन तक पहुंच सके और उनका इस्तेमाल कर सकें।
एनडीडीबी और आईआईएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक श्री मीनेश शाह ने पशु स्वास्थ्य सम्मेलन के दौरान भारतीय पशुधन और टीकाकरण में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन के दौरान तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया जिनमें पशु स्वास्थ्य में डब्ल्यूएचओ- पीक्यू प्रक्रिया, टीका विनिर्माण को कार्बन मुक्त रखना, बीमारियों की रोकथाम में कृत्रिम मेधा की भूमिका, एक स्वास्थ्य ढांचे में एंटीमाइक्रोबायल रेसिस्टेंस (एएमआर) सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और फील्ड तैनाती में पशु निदान के आधुनिक तौर तरीकों को अपनाना, नवोन्मेष और शुद्धता के साथ क्षेत्र को आकार देने जैसे विषयों को इसमें शामिल किया गया।
सम्मेलन में पशु स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये जानेमाने वक्ताओं और विशेषज्ञों के बीच संवाद और सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। तकनीकी सत्र कार्यक्रम के केन्द्र में रहे जिसमें नई टीका प्रौद्योगिकी, टीका विनिर्माण कार्बन मुक्त रखना, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के साथ एएमआर प्रबंधन, बीमारी निगरानी में कृत्रिम मेधा का प्रयोग और नैदानिक सुविधाओं की क्षेत्र तैनाती के दौरान आधुनिक तौर तरीकों को अपनाने पर चर्चा हुई।
इस सफल कार्यक्रम ने विशेषज्ञों, नीतिनिर्माताओं और हितधारकों को एक मंच पर लाने का काम किया जिसमें पशु स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया गया। इस दौरान ज्ञान और नये विचारों का जो आदान-प्रदान हुआ उसमें टीका प्रौद्योगिकी, निदान और पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में प्रगति का वादा किया गया।
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