मयूर भाई जोषी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक एवं देश में मज़दूर आंदोलनों के प्रणेता व स्वदेशी जागरण मंच सहित विभिन्न संगठनों के शिल्पकार राष्ट्रऋषि श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की जन्मजयंती पर शत शत नमन !
श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी का जन्म 10 नवंबर 1920 को वर्धा महाराष्ट्र के आर्वी ग्राम में एडवोकेट बापूराव ठेंगड़ी के घर हुआ। वे 15 वर्ष की आयु में वानर सेना के अध्यक्ष, गरीब विद्यार्थियों के सहयोग हेतु समिति प्रमुख व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने, उन्होंने BALLB की पढ़ाई नागपुर से की।
1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते पहले केरल फिर बंगाल, असम गए। 1949 में विद्यार्थी परिषद की स्थापना में सक्रीय भूमिका में रहे। 1953 में जनसंघ के मध्य प्रांत के संगठन मंत्री भी रहे।
1955 में भारतीय मजदूर संघ की स्थापना से पूर्व कांग्रेस की ट्रेड यूनियन इंटक व कम्युनिस्टों की AIBEA की बैंक यूनियन एवं RMS की यूनियन में कार्यरत रहे। डॉ. भीमराव अंबेडकर के भंडारा लोकसभा के चुनाव के वे प्रभारी और सहयोगी भी रहे।
भारतीय मजदूर संघ को खड़ा करने व भारतीय आर्थिक दृष्टिकोण को स्थापित करने हेतु देशव्यापी अनेक प्रवास किए। दुनिया
के अनेक देशों का भी भ्रमण किया। रूस, चीन, अमेरिका सहित अनेक अर्थव्यवस्थाओं का गहन अध्ययन किया। * 1973 में ही भविष्यवाणी की “कम्युनिज्म अगले 15-20 वर्षों में समाप्त होगा” जो बाद में सत्य सिद्ध हुई। उन्होंने अमेरिका,
यूरोप प्रेरित पूंजीवाद के बारे में भी कहा कि “स्थायी नहीं रहेगा”।
भारत के मजदूर क्षेत्र में राष्ट्रवाद का विचार स्थापित करने के बाद उन्होंने भारतीय किसान संघ की स्थापना कर किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए व राष्ट्रीयता की भावना प्रबल करने का सफल प्रयास किया। इसी तरह सामाजिक सद्भाव खड़ा करने के लिए सामाजिक समरसता मंच बनाया। डॉ. अंबेडकर जी पर उनका ग्रंथ डॉ. अंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ अत्यंत शोध परक व अति पठनीय हुआ।
सामाज्यवादी वैश्विक आर्थिक ताकतों से बचाकर भारत को समृद्ध शक्तिशाली व पूर्ण रोजगार बनाने हेतु उन्होंने 1991 में स्वदेशी जागरण मंच का गठन किया।
डंकल प्रस्तावों, गैट वार्ताओं और विश्व व्यापार संघ (WTO) में भारतीय आर्थिक हितों के संरक्षण के विषय में देश ही नहीं
विश्वव्यापी जन जागरण किया। उससे पूर्व 1979 में किसानों हेतु भारतीय किसान संघ का गठन किया।
34 से अधिक देशों, वैश्विक आर्थिक वार्ताओं में भी भारतीय मजदूर, किसान, स्वदेशी का विचार व दृष्टिकोण प्रस्तुत ही नहीं किया बल्कि इसे मान्य करवाने हेतु उन्होंने भारत में व्यापक जन जागरण अभियान व आंदोलन किए।
सतत प्रवासी, मौलिक, आर्थिक चिंतक, महान संगठन कर्ता ठेंगडी जी ने भारत के स्वदेशी आंदोलन को गांधीजी दीनदयाल उपाध्याय जी जैसा ही नेतृत्व प्रदान किया। पद्म भूषण अस्वीकार कर राष्ट्र नींव के पत्थर बनना, स्वीकार करने वाले दत्तोपंत ठेंगड़ी जी 14 अक्टूबर 2004 का महानिर्वाण हुआ।
*डॉ.मयुरभाई जोषी,
प्रांत प्रचार प्रमुख
गुजरात प्रांत
स्वदेशी जागरण मंच
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