बच्चों में विशिष्ट दिव्यांगता के बारे में जागरूकता पैदा करने की सख्त जरूरत है- एम. वेंकैया नायडु
भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने एनआईईपीआईडी, सिकंदराबाद का किया दौरा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18अप्रैल। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने 17अप्रैल को राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजनों व्यक्तियों के अधिकारिता संस्थान (दिव्यांगजन), सिकंदराबाद का दौरा किया। उपराष्ट्रपति का स्वागत एनआईईपीआईडी के दिव्यांग बच्चों ने किया।
उन्होंने हाल ही में बने क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर और विशेष शिक्षा केंद्र का दौरा किया, जो बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को व्यापक पुनर्वास, नैदानिक, शैक्षिक सेवाएं और सर्वसमावेशी स्थितियों के लिए सहायता प्रदान करता है। उन्होंने डिजिटल क्लास रूम और एनआईईपीआईडी द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का मुआयना किया।
उपराष्ट्रपति ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तत्वाधान में बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रदान की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों और सेवाओं की सराहना की।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों के साथ काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को इसे केवल वेतनभोगी नौकरी के रूप में नहीं समझना चाहिए, बल्कि इसे विभिन्न क्षमताओं वाले इन बच्चों के भविष्य को आकार देने के लिए सर्वशक्तिमान भगवान द्वारा दिए गए आशीर्वाद के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन बच्चों की विशेष अक्षमताओं के बारे में जागरूकता पैदा करने और दिव्यांगता से जुड़ी भ्रांतियों और कलंक को दूर करने की सख्त जरूरत है।
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई की कि एनआईईपीआईडी को सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) जैसे संगठनों के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि विकास संबंधी अक्षमताओं की शीघ्र पहचान और रोकथाम के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान किया जा सके।
उन्होंने दिव्यांगजनों के लिए समावेशी अधिकार आधारित समाज बनाने के लिए सिविल सोसाइटी, निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने देश भर में सुलभ सार्वजनिक भवनों के महत्व को भी बताया ताकि दिव्यांगजन स्वतंत्र जीवन जी सकें और किसी भी अन्य नागरिक की तरह सभी सुविधाओं का उपयोग कर सकें।
श्री एम. वेंकैया नायडु ने एडीआईपी योजना के तहत पहचाने गए पात्र लाभार्थियों को शिक्षण सामग्री किट, व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र और कृत्रिम अंग जैसे सहायक उपकरण वितरित किए।
उपराष्ट्रपति ने एनआईईपीआईडी और उसके कर्मचारियों को बौद्धिक दिव्यांग लोगों को बेहतरीन सेवाएं प्रदान करने के लिए बधाई दी और शिक्षकों और कर्मचारियों से विशेष बच्चों की देखभाल के लिए नए उत्साह और जोश के साथ काम करने का आग्रह किया।
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