डॉ. मनसुख मंडाविया ने निमहंस बेंगलुरु में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में की अध्यक्षता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में कर्नाटक के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के सुधाकर, बेंगलुरु-मध्य से लोकसभा सदस्य श्री पी.चिक्कामुनि मोहन और अपर सचिव एवं मिशन निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) श्री विकास शील भी उपस्थित थे।

डॉ. मनसुख मंडाविया ने अपने संबोधन में आगाह किया कि मानसिक स्वास्थ्य विकार देश में मधुमेह की तरह एक साइलेंट किलर है। उन्होंने कहा, ‘‘मधुमेह घातक हो जाता है क्योंकि इसका अक्सर पता नहीं चलता है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित लोग कलंकित होने के डर से आगे नहीं आते हैं।”

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य विकार के मामलों में हालिया वृद्धि के लिए हमारी जीवनशैली और पारिवारिक संरचना में बदलाव एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा, ‘अस्पताल अंतिम चरण है। परिवार अपने सदस्यों में परेशानी के शुरुआती लक्षण देख सकता है और समस्या के बिगड़ने से पहले मदद कर सकता है। इसी तरह, शिक्षक अपने विद्यार्थियों में व्यवहार परिवर्तन देख सकते हैं और समाधान प्रदान कर सकते हैं। इस तरह के कदम समस्या को जड़ से खत्म कर देंगे।”

डॉ. मंडाविया ने कहा कि सरकार और समाज एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है, जिस पर सरकार की भविष्य की नीति आधारित होगी जिस कार्य में निमहंस जैसे पुराने और प्रसिद्ध संस्थान सामने आएं।

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल करने वाले चिकित्सकों की कमी का हवाला देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल अंकों की ओर उन्मुख शिक्षा राष्ट्र की मदद नहीं कर सकती है। उन्होंने छात्रों से मामलों को उठाने और देखभाल की आवश्यकता वाले लोगों के उपचार में मदद के लिए इसकी पढ़ाई करने का आह्वान किया।

डॉ. सुधाकर ने कहा कि हमारे पूर्वजों के योग और प्राणायाम के उपहारों का उपयोग करने से वर्तमान दुनिया के तनाव और चिंता से निपटने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, “यहां तक​कि एक हरे भरे पार्क में सुबह की सैर एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाती है।” उन्होंने कोविड-19 के दौरान कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग प्रशासन द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों का भी उल्लेख किया। राज्य में 24 लाख कोविड रोगियों को निमहंस की मदद से परामर्श दिया गया।

इस कार्यक्रम के बाद दोपहर में निमहंस के 25वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिसमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज एस. बोम्मई भी उपस्थित हुए। उनके साथ बेंगलुरु-दक्षिण से लोकसभा सांसद श्री तेजस्वी सूर्या और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
डॉ मनसुख मंडाविया ने उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा, “पुलिस ब्यूरो के अनुसार हर साल लगभग 1.36 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। हमें स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करना है। स्वस्थ नागरिक ही स्वास्थ्य समाज का निर्माण कर सकता है जो एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है। एक स्वस्थ राष्ट्र ही एक आदर्श राष्ट्र बन सकता है, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का सपना है। उन्होंने कहा कि “आज जो डॉक्टर पास हो रहे हैं, उनके लिए राष्ट्र-निर्माण में योगदान करने के लिए रेडीमेड स्कोप है।” उन्होंने कोविड के कठिन समय के दौरान डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और युवाओं के समर्पित तथा सराहनीय प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा की।

मुख्यमंत्री श्री बोम्मई ने उत्तीर्ण होने वाले सभी छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर केवल वह नहीं है जो व्यक्तिगत रोगियों का इलाज करता है बल्कि सभी बीमारियों का इलाज करके समाज की नींव रखता है।

निमहंस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति और केंद्रीय मंत्रालय तथा कर्नाटक राज्य के अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी भी संस्थान के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए।

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