‘लगता है संवैधानिक मशीनरी का ब्रेकडाउन हो चुका है’- सुप्रीम कोर्ट

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1अगस्त। मणिपुर हिंसा को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है संवैधानिक मशीनरी का पूरी तरह ‘ब्रेकडाउन’ हो चुका है. वहां कोई कानून व्यवस्था नहीं बची है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में 2 महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने संबंधी वीडियो को ‘बेहद परेशान’ करने वाला बताते हुए कहा कि घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई. जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में उस समय तनाव और बढ़ गया था जब बीते हफ्ते एक वीडियो सामने आया था, जिसमें एक समुदाय के कुछ लोगों की भीड़ दूसरे समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाती नजर आई थी. घटना चार मई की थी.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई.’ सुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं. केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य पुलिस ने ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज की थी. मेहता ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि मणिपुर पुलिस ने वीडियो (Manipur Viral Video) मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है.

उन्होंने पीठ को बताया कि ऐसा लगता है कि राज्य पुलिस ने घटना का वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किए. उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर पुलिस से नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना की जांच बहुत सुस्त है और राज्य में कानून एवं व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है. इसने कहा कि यह साफ है कि पुलिस ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर से नियंत्रण खो दिया है और अगर कानून एवं व्यवस्था तंत्र लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो नागरिकों का क्या होगा? इसने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम है, उसने स्थिति से नियंत्रण खो दिया है.

उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या महिलाओं को भीड़ को सौंपने वाले पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई? इससे पहले, आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को मणिपुर में यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महिलाओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों पर संज्ञान लिया. CBI ने इन महिलाओं को आज अपने समक्ष पेश होने तथा बयान दर्ज कराने को कहा था.

उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में संबंधित महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वीडियो को सोमवार को ‘भयावह’ करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी की वजह का पता लगाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा न्यायालय ने जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति या फिर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का सुझाव भी दिया था.

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