मालदा में राहत शिविर के बाहर अफरा-तफरी, हिंसा पीड़ितों से मिले राज्यपाल, कहा – जल्द होगी ठोस कार्रवाई

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 अप्रैल।
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में चल रहे राहत शिविर के बाहर शनिवार को अफरा-तफरी और हंगामे का माहौल बन गया। यह शिविर उन लोगों के लिए लगाया गया है जो हालिया सांप्रदायिक हिंसा के चलते बेघर हो गए हैं। घटना के बाद राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने राहत शिविर का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन द्वारा जल्द ही ठोस कार्रवाई की जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राहत शिविर में भोजन वितरण और अन्य जरूरी सुविधाओं को लेकर लोगों में असंतोष और नाराज़गी थी। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की ओर से सही समय पर राशन, पानी और दवाइयां नहीं मिल रहीं, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इसी बीच किसी अफवाह के चलते भीड़ बेकाबू हो गई और अफरा-तफरी मच गई।

हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और किसी बड़ी घटना को टाल दिया।

राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने मालदा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के बाद राहत शिविर पहुंचकर पीड़ितों से बातचीत की। उन्होंने कहा:

“मैंने पीड़ित परिवारों की बात सुनी है। हालात बेहद संवेदनशील हैं। मैंने केंद्र और राज्य के संबंधित अधिकारियों से बातचीत की है। दोषियों के खिलाफ जल्द ही सख्त कार्रवाई होगी। किसी को भी कानून से ऊपर नहीं समझा जाएगा।”

राज्यपाल ने यह भी कहा कि वो इस मुद्दे पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजेंगे और जरूरत पड़ी तो संसद में भी इस विषय को उठाया जाएगा।

विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता बताया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मालदा में हिंसा की आग सरकार की तुष्टिकरण नीति के चलते भड़की है। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं मालदा जाकर स्थिति का जायज़ा लें।

इस बीच राज्य सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि हालात पर पूरी नजर रखी जा रही है और स्थिति को सामान्य करने के लिए स्थानीय प्रशासन सक्रिय है। सरकार ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है।

 मालदा की स्थिति अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं है। राहत शिविरों में पीड़ितों की दुर्दशा, प्रशासन की चुनौतियाँ और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह देखना अहम होगा कि राज्य और केंद्र मिलकर कैसे इस संवेदनशील मसले का समाधान निकालते हैं।

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