समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19मई। अगर कांग्रेस 150 एकड़ जमीन पर नेहरू, संजय, इंदिरा और राजीव गांधी की समाधि न बनवाती तो इस पर 20-30 अस्पताल और बन सकते थे. स्वतंत्रता के छः दशक बाद जिस देश में सरकार बदलने के बाद प्रधान मंत्री जी को टॉयलेट बनवाना पड़े, उस देश में लोग अस्पताल के लिए बोल रहे हैं.
सोचो दोष किसका है?
राजस्थान का सीएम अशोक गहलोत सरकार का ₹ 100 करोड दरगाह को देकर आ गया. किसी के मुंह से एक शब्द नहीं निकला. किसी ने नहीं बोला कि नया अस्पताल बनाने के लिए पैसे देने चाहिए थे. जिस कौम में डॉक्टर कम और आतंकवादी ज़्यादा हैं, वो भी हॉस्पिटल पर ज्ञान बांट रहे हैं. हद है ! क़तई बेशर्म हो तुम लोग.
मंद बुद्धियों को मैं बता दूं कि मंदिर हम अपने पैसों से बनवा रहे हैं. सरकारी पैसों से 70 साल में हज हाऊस, हज सब्सिडी और मौलानाओं की पगार पर खर्च हुए थे, अस्पतालों पर नहीं.
अखिलेश ने ₹ 600 करोड़ का हज हाउस बनवाया. बहन जी ने ₹ 1200 करोड़ की अपनी और हाथियों की मूर्ति बनवाई. तब किसी ने नहीं पूछा कि, ’टीपू भैया और बहन जी ! ये मूर्ति की जगह अस्पताल क्यों नहीं बनबाए?’ कुछ दोगले कह रहे हैं ’अस्पताल बनवाना मोदी की जिम्मेदारी है, मंदिर नहीं’….
2014 के पहले देश में सिर्फ 6 एम्स व 189 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे. आज 22 एम्स व 279 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. यानी 6 साल में 16 नए एम्स खोले गए और 90 नए मेडिकल कालेज खोले गए.
दरअसल इस वामी/ कॉन्गी को हॉस्पिटल या इलाज से मतलब नहीं है, इसे तकलीफ मंदिर बनने से है.
जानकारी के लिए बता दूँ कि मंदिर में सरकार का एक ₹ भी नहीं लगा है. कोरोना की आड़ में मंदिर को निशाना बनाने वालों.. बक बक करना बंद कर लो… 1947 में भारत में 600 मस्जिदें थी, आज 11 लाख हो गई हैं. तो 70 सालों में कांग्रेस ने देश में क्या बनवाया?
अस्पताल या मस्ज़िद ?
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