फाइजर के टीके की तीसरी खुराक की भी जरूरत, कंपनी ने मांगी बूस्‍टर डोज की इजाजत

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9जुलाई। फाइजर अपने कोविड-19 रोधी टीके की तीसरी खुराक के आपात इस्तेमाल के लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि विभाग की अनुमति मांगेगी. कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 12 महीने के भीतर टीके की एक और खुराक लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है और यह कोरोना वायरस के चिंताजनक स्वरूप का मुकाबला करने में भी मददगार हो सकती है।
विभिन्न देशों में हुए अध्ययन बताते हैं कि फाइजर तथा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहे कोविड-19 रोधी अन्य टीके कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक ‘डेल्टा’ स्वरूप के खिलाफ भी मजबूती से रक्षा से करते हैं. डेल्टा स्वरूप दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है और अमेरिकी में संक्रमण के ज्यादातर नए मामलों में यही स्वरूप पाया जा रहा है।

कोरोना वायरस के खिलाफ बनने वाली एंटीबॉडी समय के साथ कमजोर पड़ती जाती है इसलिए अध्ययन चल रहे हैं जिनमें पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि बूस्टर डोज (टीके की अतिरिक्त खुराक) कब दी जानी चाहिए।

फाइजर के डॉ. माइकल डोलस्टन ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि कंपनी द्वारा अतिरिक्त खुराक के बारे में किए गए अध्ययन में पता चला है कि तीसरी खुराक लेने के बाद लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पांच से दस गुना बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि फाइजर खाद्य एवं औषधि नियामक से कोविड रोधी टीके की तीसरी खुराक के आपात इस्तेमाल की मंजूरी अगस्त में मांगेगी. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और इजराइल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि फाइजर का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी है लेकिन जब एंटीबॉडी का स्तर काफी घट जाता है तो डेल्टा स्वरूप मामूली संक्रमण कर सकता है।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन (एफडीए) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जो लोग पूरी तरह से वैक्‍सीनेट हो चुके हैं उन्‍हें फिलहाल बूस्‍टर डोज की इस वक्‍त कोई जरूरत नहीं है। कुछ अन्‍य वैज्ञानिकों ने भी बूस्‍टर खुराक पर सवाल उठाए हैं।

एफडीए और सीडीसी के साझा बयान में ये भी कहा गया है कि यदि विज्ञान इस बात को समझाने और बताने के लिए तैार हो कि इस बूस्‍टर डोज की हमें जरूरत है तो हम बूस्‍टर डोज के लिए तैयार हैं। फाइजर का अपना आंकड़ा कहते हैं कि छह माह के बाद वैक्‍सीन की प्रभावशीलता वायरस के खिलाफ 80 फीसद ही रह जाती है।

टीका ही एकमात्र विकल्प
वैज्ञानिकों का कहना है कि टीके परीक्षण में पास हुए हैं, इस आधार पर टीका हर किसी को लगवाना चाहिए, वायरस के किस रूप के खिलाफ टीका कारगर नहीं है ये सब अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। अभी जो नतीजा सामने है उस अनुसार सभी टीके कुछ न कुछ हद तक डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ असरदार है, ऐसे में टीका लगवाने में देरी न हो।

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