समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19जनवरी।केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति की तीसरी बैठक आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में बुलाई गई। बैठक की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने की। बैठक में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश राज्यों के प्रतिनिधियों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों तथा नीति आयोग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने अपने वक्तव्य के आरंभ में कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना जल संरक्षण और बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह केंद्र और राज्य की प्रमुख परियोजना है। शानदार प्रौद्योगिकियां और जानकारी की मदद से समय पर इस परियोजना को पूरा करने की हमारी जिम्मेदारी है। इस क्रम में परियोजना से प्रभावित लोगों और क्षेत्र के संरक्षण का हमें पूरा ध्यान रखना है, खासतौर से पन्ना बाघ अभयारण्य के भू-भाग पर निर्भर प्रजातियों का।
बैठक के दौरान, विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें दूसरी बैठक के दौरान लिये गये फैसलों पर अब तक की गई कार्रवाई, वर्ष 2023-24 के लिये कार्य-योजना, परियोजना प्रबंधन सलाहकार संस्था को संलग्न करना, भू-अधिग्रहण और प्रभावित गांवों के पुनर्वास व पुनर्स्थापन, केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण की स्थापना, ग्रेटर पन्ना के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार किये गये एकीकृत भू-भाग प्रबंधन योजना का क्रियान्वयन, केबीएलपीए की वित्तीय शक्तियां, खर्च की गई धनराशि का राज्यों को पुनर्भुगतान आदि शामिल थे।
समिति को अवगत कराया गया कि मध्यप्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों की लगभग 5480 हेक्टेयर गैर-वन सरकारी जमीन को हस्तांतरित करने के आदेश दिये जा चुके हैं। यह हस्तांतरण पीटीआर को किया गया है, ताकि वहां वनीकरण किया जाये।
इसके अलावा, मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और उत्तरप्रदेश के रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य को राज्य सरकारों ने प्रॉजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लाने की अनुमति दी गई है। पीटीआर की क्षमता बढ़ाने के लिये यह महत्त्वपूर्ण कदम है। पुनर्वास और पुनर्स्थापन योजना के पारदर्शी और समय पर पूरा करने की देखरेख करने के लिये पुनर्वास व पुनर्स्थापन समिति के गठन के प्रस्ताव को बैठक के दौरान अंतिम रूप दिया गया। परियोजना के भू-भाग प्रबंधन योजना (एसएमपी) और पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के क्रियान्वयन के लिये एक वृहद पन्ना भू-भाग परिषद का भी गठन किया जा रहा है।
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