झूठ की बुनियाद पर खड़ी राजनीति की यह इमारत कहीं ढ़ह न जाए

सुनील अग्रवाल।
विरासत में मिली राजनीति को झूठ के सहारे बुनियादी ढांचे की शक्ल में मूर्तरूप होता देखना चाहते हैं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी। कहीं उनका यह सपना महज सपना हीं बनकर न रह जाए। जिसका नींव हीं कमजोर हो, वहां मजबूत इमारत की कल्पना करना मुर्खता नहीं तो ओर क्या है। कुछ ऐसा ही वाकया राहुल गांधी के साथ भी देखने को मिल रहा है। सफेद झूठ के सहारे राजनीति की बुलंदियों पर पहुंचने की परिकल्पना करना कोई कांग्रेस के युवराज से सीखें। झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करने की कला में निपुण राहुल गांधी आखिर कब तक आमजनों को गुमराह करते रहेंगे और कब तक समाज में विष घोलने वालों का साथ देते रहेंगे। सवाल कड़वा जरूर है, मगर है महत्वपूर्ण।
प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाने का मलाल उन्हें जिन्दगी भर सालता रहेगा। लगता है मोदी के जीते जी राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब पूरा होने से रहा। कारण साफ है कि मोदी सिर्फ भारत के लोगों के दिलों की धड़कन मात्र नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में उनके नाम का डंका बजता है। भारत के अधिकांश हिस्सों में तो लोग उन्हें भगवान की तरह पुजते हैं और वो लोगों की आत्मा में रचते बसते हैं। जबकि कांग्रेस के युवराज को लोग पप्पू समझते हैं। खुद के बचकाना हरकतों से वो प्रायः हंसी के पात्र बनते रहे हैं। विरोधियों का तो कहना हीं क्या खुद की पार्टी के लोग उन्हें पप्पू समझते हैं। तभी तो पाडूचेरी में जब वो मछुआ जाति से मुलाकात कर रहे थे तो एक महिला ने उनसे शिकायत भरे लहजे में कहा कि मुसीबत के समय सत्ता पक्ष के नेताओं ने कोई खोज-खबर नहीं ली। दरअसल उक्त महिला अपनी भाषा में दर्द बयां कर रही थी और कांग्रेस के युवराज उस भाषा से अनभिज्ञ थे। फिर क्या था, वहां के मुख्यमंत्री ने उन्हें पप्पू समझ महिला की कही बात के उलट खुद के तारीफ की बात अंग्रेजी भाषा में सुना दी, क्योंकि उक्त महिला भी अंग्रेजी भाषा से अनभिज्ञ थी। जिसका बेजा लाभ मुख्यमंत्री ने हल्के में उठा लेना हीं मुनासिब समझा।
मजे की बात तो यह है कि खुद को किसानों का हमदर्द बताने वाले कांग्रेस के शहजादे का अधिकांश समय या तो विदेशों में बीतता है या फिर मोदी को गालियां देने में। लगता है सुबह होते हीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का साया इनके आसपास मंडराने लगता है। तभी तो सुबह-शाम मोदी को कोसते रहते हैं। वहीं अडानी अंबानी का भूत भी इनके सिर पर हमेशा सवार रहता है। मोदी के साथ साथ अडानी अंबानी को भी कोसने से बाज नहीं आते।
शायद राहुल गांधी को पता नहीं की अडानी अंबानी के पूर्वज कभी नौकरी करते थे और मेहनत की कमाई से आज अपने व्यापार का दायरा दुनिया भर में फैला रहे हैं,जो कांग्रेस के युवराज को रास नहीं आता। जबकि राहुल गांधी और उनके जीजा राॅबर्ट बाड्रा के पास न तो कोई व्यापार है और न ही कोई काम, बावजूद वो धनवान कैसे बन गये। क्या राहुल गांधी ने आलू के बदले सोना निकलने वाली मशीन अपने जीजा के हवाले कर दी है।
गौरतलब है कि मोदी ने अपना जमीर नहीं बेचा है और न हीं महज अपने छह वर्षों के शासनकाल में देश को झुकने दिया है। इसका जीता जागता उदाहरण चीन है, जिसे मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण सीमा पर तैनात अपनी सेना वापस करने को विवश होना पड़ा, जबकि कांग्रेस के शहजादे तमाम मर्यादाओं को ताख पर रख मोदी को कायर व गद्दार साबित करने पर आमादा है। क्या यही कांग्रेस की सभ्यता और संस्कृति है।अब तो पाण्डूचेरी से भी कांग्रेस अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में है, दिल्ली तो बहुत दूर है। राहुल गांधी की क्या बिसात पूरी की पूरी सोनिया सेना भी मोदी के दृढ़ निश्चय को नहीं डिगा पाएंगी।
यूं हीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा यह कहते नहीं थकते कि जब मैं पहली बार नरेंद्र मोदी जी से मिला तभी समक्ष गया की इस व्यक्ति में कुछ खास है। यह भारत को बहुत आगे तक ले जाएगा। भारत को महाशक्ति बनाने का माद्दा है इस व्यक्ति में। भले हीं राहुल गांधी की नजर में नरेंद्र मोदी की कोई अहमियत न हो, मगर आज पूरी दुनिया में उनकी जय-जयकार हो रही है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

(बिहार से सुनिल अग्रवाल)

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