पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय विषयगत कार्यशाला आज से श्रीनगर में हो रही है शुरू

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21अगस्त। भारत सरकार का पंचायती राज मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार के पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर, ‘थीम 8 पर विषयगत दृष्टिकोण; सुशासन वाली पंचायत’ को अपनाने के माध्यम से ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में 21-23 अगस्त 2023 के दौरान आयोजन कर रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल की गरिमामयी उपस्थिति में कल इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान सुनील कुमार, सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, अरुण कुमार मेहता, मुख्य सचिव, जम्मू-कश्मीर सरकार, डॉ. चंद्र शेखर कुमार, अपर सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, मनदीप कौर, आयुक्त एवं सचिव, आरडी एवं पीआर विभाग, जम्मू-कश्मीर सरकार, विकास आनंद, संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, डॉ. बिजय कुमार बेहरा, आर्थिक सलाहकार, पंचायती राज मंत्रालय और अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा स्थानीय जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर भारत सरकार और राज्य सरकारों के कई वरिष्ठ अधिकारियों, संयुक्त राष्ट्र / अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधियों और देश के पंचायती राज संस्थानों के लगभग 1000 निर्वाचित प्रतिनिधियों के भी इस कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है।

पंचायती राज मंत्रालय द्वारा विकसित ‘मेरी पंचायत मोबाइल ऐप’ और एनसीबीएफ के संचालन दिशानिर्देश, सेवा-स्तरीय बेंचमार्क, स्व-मूल्यांकन और मॉडल अनुबंध भी राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के दौरान जारी किए जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के पंचायती राज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी भी इस राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेंगे। विषयगत क्षेत्रों में पहल करने वाली पंचायतों को भी इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

इस कार्यशाला के प्रतिभागियों में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी, प्रमुख हितधारक, क्षेत्र विशेषज्ञ और सुशासन की 5 टी- टीमवर्क, टाइमलाइन, ट्रांसपेरेंसी, टेक्नोलॉजी और ट्रांसफॉर्मेशन में अनुकरणीय कार्य करने वाली एजेंसियां भी शामिल होंगी। इस कार्यशाला में सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग, योजना विभाग, एनआईआरडी एवं पीआर, एसआईआरडी एवं पीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से चयन किए गए ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी विभिन्न तकनीकी सत्रों/पैनल चर्चाओं के दौरान 3 से 4 मिनट की लघु वीडियो फिल्म प्रस्तुति के माध्यम से प्रासंगिक विषयगत क्षेत्र में अपने अनुभव का प्रदर्शन करेंगे।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के संदर्भ में सर्वोत्तम रणनीतियों, दृष्टिकोणों, समावेशी कार्यों और नवाचारी मॉडलों और श्रेष्ठ प्रक्रियां, ढांचे की निगरानी, प्रोत्साहन का प्रदर्शन तथा ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में एसडीजी के विषयों को प्रतिबिंबित करना है।

पृष्ठभूमि:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य 1 जनवरी, 2016 से लागू हुए। भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने सतत् विकास लक्ष्यों के लिए विषयगत दृष्टिकोण अपनाया है। यह ‘वैश्विक योजना’ प्राप्त करने के लिए ‘स्थानीय कार्रवाई’ सुनिश्चित करने वाला दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य पीआरआई विशेषकर 17 ‘लक्ष्यों’ को ‘9 विषयों’ में जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् विकास लक्ष्यों को स्थानीय बनाना है। उचित नीतिगत निर्णयों और संशोधनों के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के दिशानिर्देशों में सुधार हुआ है, जो ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण की प्रक्रिया को सुचारू बनाते हैं।

पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण करने के एजेंडे का अनुपालन करने में भारत सरकार का पंचायत राज मंत्रालय, विषयगत कार्यशालाओं/सम्मेलनों की श्रृंखलाओं का आयोजन कर रहा है, जो राज्य/केन्द्रशासित प्रदेशों के सहयोग से पंचायती राज विभाग, राज्य ग्रामीण विकास और पंचायती राज के राज्य संस्थान, मंत्री और विभाग तथा अन्य हितधारक, निकट सहयोग से विभिन्न स्थलों पर पंचायती राज संस्थानों द्वारा आत्मसात 9 विषयों पर आधारित सतत् विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण करने के बारे में आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय सतत् विकास लक्ष्यों का प्रभावी और प्रभावशाली कार्यान्वयन तभी हो सकता है जब अवधारणा और इसकी प्रक्रिया को त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा ठीक से समझा, अपनाया और कार्यान्वित किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी पीछे न छूट जाए।

एलएसडीजी थीम 8 का विजन देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सुशासन एक आवश्यक घटक है। यह लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समाज में चुनिंदा समूहों के विपरीत सरकार और शासी निकायों की इस जिम्मेदारी पर केंद्रित है कि किस तरह से सत्ता वाले लोग शक्ति का उपयोग करते हैं।

सुशासन का सेवा वितरण और प्रगति से सीधा संबंध है। सुशासन के लिए टीमवर्क प्रौद्योगिकी, समयसीमा, पारदर्शिता और परिवर्तन के 5टी स्तंभ फ्रेमवर्क आवश्यक हैं। यह सभी नागरिक सेवाओं को समय पर उचित और पारदर्शी विधि से लोगों की सेवा करने की ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी पर केंद्रित है।

सुशासन वाले गांव में आवश्यक रूप से बहुत जीवंत, मजबूत और सक्रिय ग्राम सभा होनी चाहिए, जिसमें बड़ी लोकप्रिय भागीदारी, अच्छी चर्चा और समावेशी निर्णय लेने की यह परिकल्पना की गई है कि ग्राम पंचायत एक सूचना सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करती है, जिसमें सभी सूचनाओं का सक्रिय रूप से जानकारी देना और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना शामिल है।

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