’हम तेरी कागज की कश्ती अपनी भीगी पलकों में उतार लेंगे
वे कोई और होंगे जिन्हें बदलते मौसमों का इतना भी इल्म नहीं’
पिछले दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीएम आवास पर अपने पुराने मित्र प्रचारकों को भोजन पर बुलाया था। भोजन का मैन्यू भी उनके एजेंडे की तरह सादगी भरा था, यानी मक्के की रोटी और सरसों के साग पर पुराने दोस्तों को न्यौता था। भोजन पर जब उनके पुराने प्रचारकों की मित्र मंडली जुटी तो मुख्यमंत्री की तारीफ होनी शुरू हुई, उनके प्रचारक मित्रों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा ’आपने तो तीनों लालों (देवीलाल, बंसीलाल व भजनलाल) के रिकार्ड को भी काफी पीछे छोड़ दिया है, हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्रित्व का आपका कार्यकाल नए कीर्तिमान स्थापित करें।’ इस पर मनोहर लाल ने शांत भाव से कहा-’10 साल पर्याप्त समय होता है, मुझे तो इतने की भी उम्मीद नहीं थी।’ फिर सीएम ने खुलासा करते हुए अपने मित्रों को बताया कि पिछले दिनों वे पीएम से मिले थे, पीएम ने उनसे छूटते ही पूछा-’मनोहर लाल जी आप खुश तो हैं?’ इस पर मैंने कहा-’मैं खुश हूं, संतुष्ट भी हूं और आपका हमेशा के लिए कृतज्ञ भी कि आपने मुझे इतना मौका दिया। मैंने तो इतना भी नहीं सोचा था कि कभी विधायक भी बनूंगा।’ फिर सीएम ने धीरे से अपने मित्रों को बताया कि ’अब अगला चुनाव लड़ने में उनकी कोई खास दिलचस्पी नहीं है।’
राहुल को सहयोगियों की नसीहत
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने जब महाराष्ट्र में प्रवेश किया था तो महाअघाड़ी सरकार में उनके गठबंधन साथी रहे आदित्य ठाकरे उनके स्वागत के लिए खड़े थे, बातों ही बातों में आदित्य ने राहुल से कह दिया कि ’हमारे प्रांत में आपका स्वागत है, फिर भी मैं कहूंगा कि इस वक्त आपकी यात्रा महाराष्ट्र के बजाए गुजरात में होनी चाहिए थी।’ राहुल ने किंचित भोलेपन से जवाब देते हुए कहा-’मेरी यह यात्रा न तो राजनीतिक है और न ही राजनैतिक लाभ के लिए है।’ इसके बाद शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले इस यात्रा में शामिल हुईं, सुप्रिया ने भी दो टूक राहुल से पूछ लिया कि ’आपकी यात्रा 17 दिन केरल में रही जबकि यूपी में आप मात्र 3 दिन लगा रहे हैं?’ राहुल ने सुप्रिया को भी ज्ञान की वही घुट्टी पिला दी जैसा उन्होंने आदित्य के साथ किया था। जब इस बात की भनक जयराम रमेश को लगी तो उन्होंने आदित्य से फोन कर कहा-’आपको राहुल जी से ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।’ बदले में आदित्य ने दो टूक कह दिया-’जो मुझे सही लगा, मैंने वही कहा।’ फिर आदित्य ने इस बात का जिक्र अपने पिता उद्धव ठाकरे से किया, उद्धव ने उन्हें समझाया कि जब तक कांग्रेस पार्टी में अहमद पटेल थे, वे हर मुद्दे को बेहद समझदारी से ‘हेंडल’ करते थे, जयराम रमेश में उतनी राजनीतिक परिपक्वता नहीं।’ फिर यह बात, आई गई हो गई।
क्या होगा हिमाचल में?
हिमाचल प्रदेश चुनाव के संभावित नतीजों को लेकर कांग्रेस बम-बम है, वहीं भाजपा का भरोसा है कि उन्हें अगर सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की कमी हो भी गई तो पार्टी इसे मैनेज कर लेगी, क्योंकि इस बार वहां कई निर्दलियों के जीतने के कयास लग रहे हैं। वहीं अगर कांग्रेस यहां मोर्चा फतह कर लेती है तो यहां कम से कम सीएम पद के तीन मजबूत दावेदार होंगें। एक हैं मुकेश अग्निहोत्री, माना जाता है कि इनके कहने पर 3-4 टिकट बांटे गए हैं, दूसरे हैं सुखविंदर सिंह सुक्खों जो वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल के सियासी पटल पर तेजी से उभरे हैं। कहते हैं इनके कहने पर 8-10 टिकट बांटे गए हैं, तीसरा है वहां का राज परिवार यानी रानी प्रतिभा सिंह, इनके कहने पर 20-25 टिकट बांटे गए हैं, यानी फिलहाल तो पलड़ा इनका ही सबसे भारी लगता है। अगर इनमें से किसी एक को भी सीएम बनने का मौका मिला तो फिर भाजपा नाराज़ गुट पर डोरे डाल सकती है।
सबसे गरीब सांसद का मेगा शो
बिहार के अररिया संसदीय सीट से भगवा सांसद प्रदीप सिंह कभी लोकसभा के सबसे गरीब सांसदों में शुमार होते थे। 22 नवंबर को उनकी माता ष्यामा देवी जी का स्वर्गवास हो गया। सो इस सोमवार, 5 दिसंबर को उनकी माताश्री के दिवंगत आत्मा की शांति के लिए द्वादशा कर्म, श्रद्धांजलि और शांति भोज का आयोजन किया गया है। सूत्रों की मानें तो इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सांसद जी ने अपने क्षेत्र के 2 लाख लोगों को निमंत्रण भेजा है। सांसद जी को उम्मीद है कि केवल शांति भोज में एक लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे, सो स्थानीय अररिया कॉलेज के अररिया स्टेडियम में भोज के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। दूरदराज से भी हलवाई और कैटरर बुलाए गए हैं। सांसद जी से जुड़े एक करीबी व्यक्ति का दावा है कि ’यह एक तरह से 2024 के चुनाव की तैयारियों का आगाज़ है, इसीलिए पंचायत लेवल तक इतने बड़े पैमाने पर शांति भोज के लिए निमंत्रण पत्र बांटे गए हैं।’
कांग्रेस के प्रचार में मोहम्मद शाद
पिछले दिनों दिल्ली के नगर निगम चुनाव के प्रचार में एक खास बात देखने को मिली, कोरोना काल में चर्चित हुए निजामुद्दीन मरकज के मौलाना मोहम्मद शाद कांग्रेस का प्रचार करते दिखे। कहते हैं, यह प्रचार एक बेहद सोची-समझी रणनीति का ही एक हिस्सा था। दरअसल, कभी दिल्ली में कांग्रेस का वोट बैंक रहे दलित और अल्पसंख्यक समुदाय आज आम आदमी पार्टी के कोर वोट बैंक में शुमार हो चुके हैं। दिल्ली में आप और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, सो अगर कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक में थोड़ा भी सेंध लगाती है तो इससे भाजपा को फायदा हो सकता है। शायद यही वजह है कि षाद के ऊपर दर्ज तमाम मामले आनन-फानन में रफा-दफा कर दिए गए हैं।
संतोष का प्रवेश से अंसतोष
बीते दिनों भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने पार्टी के बड़े नेताओं और दिल्ली के सांसदों की एक अहम मीटिंग तलब की। इस मीटिंग में भाजपा के पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा बेहद बढ़-चढ़ कर बोल रहे थे, यह बात संतोष को बेहद नागवार गुज़री, उन्होंने वर्मा से मुखातिब होकर कहा-’जब दिल्ली में विधानसभा के चुनाव थे तो हमने आपको सबसे ज्यादा मौके दिए थे, पर चुनाव के नतीजे आए तो हम आपकी 10 सीटों में से एक भी नहीं जीत पाए। अभी हमें निगम की सीटों की जो रिपोर्ट आ रही है उसमें हम आपके क्षेत्र में कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं।’ मीटिंग खत्म हुई तो प्रवेश संतोष को अकेले में एक तरफ ले गए और किंचित मनुहार के अंदाज में बोले-’ये सारी बातें आप मुझे अकेले में भी समझा सकते थे।’ इस पर संतोष ने कहा-’आप अकेले में ये बातें कहते तो हम आपको जवाब भी अकेले में देते।’
राहुल की यात्रा पर सवाल
राहुल गांधी जब अपनी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर मध्य प्रदेश पहुंचे तो वहां पहले से एक प्रेस कांफ्रेंस आहूत थी। जयराम रमेश ने पत्रकारों से जैसे ही कहना शुरू किया कि ’हमने बड़ी मेहनत कर यात्रा का रूट बनाया है’, राहुल ने उन्हें बीच में टोकते हुए कह दिया-’यह कांग्रेस की यात्रा नहीं है और न ही मेरी यात्रा राजनैतिक है।’ इस पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले का दर्द था कि ’जब हम राजनीति में हैं तो हमारी यात्रा गैर राजनीतिक कैसे हो सकती है? कुछ सिविल सोसाइटी वाले लोग राहुल जी को भ्रमित कर रहे हैं।’ यात्रा की फोटो में भी राहुल आम लोगों के साथ नज़र आ रहे हैं, पर राहुल नेताओं कों अपने मंच पर भी स्थान नहीं दे रहे। मसलन सचिन पायलट ने मध्य प्रदेश में यात्रा ज्वॉइन की तो राहुल उन्हें देख कर चौंके-’अच्छा आप भी आए हुए हैं?’ पर पायलट को मंच पर जगह नहीं मिली। आष्चर्य है कि यूपी के बड़े नेता लगातार यात्रा से दूरी बना कर रख रहे हैं, इसका आशय क्या है?
…और अंत में
गुजरात चुनाव के मद्देनज़र आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का वहां एक ‘रोड शो’ चल रहा था, भीड़ भी अच्छी खासी जुटी थी, सड़कों के किनारे काफी लोग खड़े थे। केजरीवाल के साथ प्रचार ट्रक पर हरभजन सिंह, राधव चड्डा और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सवार थे। तभी भीड़ में से एक युवक अपने हाथों में लिए स्टील के गिलास को भगवंत मान की ओर लहराने लगता है, जब मान उसकी ओर पलटे तो वह ’चीयर्स’ कहने लगा। मान के चेहरे की भाव-भंगिमाएं बदल गई, केजरीवाल इस दृश्य को इग्नोर कर दूसरी ओर हाथ हिलाने लगे।
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