तहव्वुर राणा की ‘टेरर स्टोरी’ के टॉप किरदार: ताज होटल में हेडली की टोह, हाफिज से वैचारिक खुराक, और ‘चचा लखवी’ से कसाब को कमांड

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 अप्रैल।
2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमले ने न सिर्फ भारत को दहला दिया, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के नेटवर्क का वो चेहरा भी उजागर किया जो पाकिस्तान में पनप रहा था। इस हमले की पटकथा कई किरदारों ने मिलकर लिखी—जिनमें तहव्वुर राणा का नाम अब एक अहम कड़ी के तौर पर उभर रहा है। अमेरिका से भारत को प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया में शामिल राणा की कहानी महज़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक पूरी साजिश की परतें खोलती है। आइए जानते हैं उसकी ‘टेरर स्टोरी’ के मुख्य किरदार कौन-कौन थे।

1. डेविड हेडली: ‘स्लीपर एजेंट’ जिसने ताज होटल की खामियां बताईं

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली (असल नाम दाउद गिलानी) तहव्वुर राणा का करीबी था। राणा की शिकागो स्थित मेडिकल कंपनी का इस्तेमाल करते हुए हेडली ने भारत में कई यात्राएं कीं। उसने ताज होटल, नरीमन हाउस, और CST स्टेशन जैसे ठिकानों की वीडियो फुटेज और नक्शे तैयार किए। यही इनपुट बाद में हमलावरों को दिए गए।

2. हाफिज सईद: ‘आतंकी सोच का जनक’

लश्कर-ए-तैयबा का मुखिया और 26/11 हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद, इस पूरी साजिश का वैचारिक स्तंभ था। उसी ने आतंकवाद को ‘जिहाद’ का नाम देकर युवाओं को बहकाया। हेडली और राणा जैसे लोग हाफिज सईद के भाषणों से प्रभावित होकर आतंक की राह पर आगे बढ़े।

3. जकीउर रहमान लखवी: ‘चचा’ जो देता था आतंकी आदेश

लखवी को आतंकी ट्रेनिंग का उस्ताद माना जाता है। उसे लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल चीफ की भूमिका मिली थी। अजमल कसाब समेत सभी 10 आतंकियों को लखवी ने ट्रेनिंग दी और हमले के वक्त पाकिस्तान से रियल-टाइम निर्देश भी दिए। कसाब ने पूछताछ में उसे ‘चचा’ कहकर पुकारा था।

4. अजमल कसाब: वो चेहरा जो 26/11 की नृशंसता का प्रतीक बन गया

पाकिस्तान के फरीदकोट का रहने वाला कसाब एकमात्र आतंकी था जिसे जिंदा पकड़ा गया। पूछताछ में उसने राणा, हेडली, लखवी और हाफिज की भूमिका की पुष्टि की। कसाब ने बताया कि कैसे उन्हें ‘भारत के दुश्मन’ की तरह प्रशिक्षित किया गया और कहा गया कि मरना ही सबसे बड़ा इनाम है।

तहव्वुर राणा ने अमेरिकी नागरिक होते हुए भी भारत विरोधी साजिशों में सक्रिय भूमिका निभाई। उसने हेडली को भारत में एक वैध बिज़नेस कवर प्रदान किया और पाकिस्तानी एजेंसियों के संपर्क सूत्र के रूप में काम किया। जांच एजेंसियों का कहना है कि यदि राणा भारत लाया जाता है, तो कई अनछुए राज सामने आ सकते हैं।

26/11 के हमले को अंजाम देने वाले हर किरदार की अपनी भूमिका रही — किसी ने प्रशिक्षण दिया, किसी ने जानकारी जुटाई, किसी ने मानसिक रूप से तैयार किया और किसी ने बंदूक थाम ली। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और संभावित प्रत्यर्पण भारत को उन सवालों के जवाब दे सकता है जो अब तक धुंधले हैं।

इस पूरे षड्यंत्र ने साबित कर दिया कि आतंकवाद सिर्फ बंदूक से नहीं, बल्कि विचार, नेटवर्क और योजना से पनपता है। और जब तक उन तमाम किरदारों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता, 26/11 जैसे जख्म हमेशा ताज़ा रहेंगे।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.