आदिवासियों को समान नागरिक संहिता से छूट, केंद्र सरकार ने किया स्पष्ट रुख

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 सितंबर: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज स्पष्ट किया कि प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे से पूर्वोत्तर और देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों के लोग बाहर रहेंगे। उनका यह बयान संघ से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यक्रम के दौरान आया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार का रुख साफ तौर पर साझा किया।

रिजिजू ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर केंद्र के खिलाफ गलत माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “केंद्रीय मंत्री होने के नाते मैं अपनी सरकार का रुख साझा करना चाहता हूं। हमारी सरकार संविधान के अनुसार देश में समान नागरिक संहिता लाने पर विचार कर रही है। जब फौजदारी कानून सभी के लिए समान है, तो नागरिक कानून भी सभी के लिए समान क्यों नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि आदिवासियों को अपनी परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार जीवन जीने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी। रिजिजू ने कहा कि समान नागरिक संहिता अनुसूची 6, अनुसूची 5, पूर्वोत्तर और देश के अन्य आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होगी।

उत्तराखंड ने यूसीसी लागू किया
यूसीसी के मुद्दे पर वर्तमान में विधि आयोग विचार कर रहा है। इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य ने अपनी सीमा में यूसीसी लागू कर दिया है। रिजिजू ने भगवान बिरसा मुंडा भवन में आयोजित जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब दिल्ली में आदिवासी प्रतिनिधित्व अत्यंत सीमित था और केंद्र सरकार में आदिवासी सांसदों की उपस्थिति कम थी।

रिजिजू ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “अविभाजित मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम ने बताया था कि केवल एक या दो आदिवासी नेता ही केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल थे।” उन्होंने बताया कि पहले आदिवासी सांसदों की चुनाव जीत के बावजूद उन्हें केवल राज्य मंत्री पद तक ही पहुंचाया जाता था।

पीएम मोदी के नेतृत्व में आदिवासियों के उत्थान की सराहना
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में आदिवासियों के कल्याण और उत्थान के लिए अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। आज मोदी सरकार में आदिवासी समुदाय के लिए तीन कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री हैं।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आदिवासी आबादी के विकास और उत्थान के लिए यह सरकार निरंतर प्रयास कर रही है और देश को नई दिशा दे रही है।

रिजिजू के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बावजूद आदिवासियों के अधिकारों और उनकी जीवनशैली की रक्षा केंद्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।

 

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