त्रिपुरा सीएम बिप्लब देब ने अपनी घटिया कार्यशैली से वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष को भी नहीं बख़्शा

समग्र समाचार सेवा

अगरतला/ नई दिल्ली, 27जून। त्रिपुरा सीएम बिप्लब देब ने अपनी घटिया कार्यशैली से वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष को भी नहीं बख़्शा।
केंद्रीय भाजपा नेतृत्व का मुकाबला करने की नाकामयाब कोशिश में बिप्लब कुमार देब मुख्यमंत्री त्रिपुरा ने अपने करीबी शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ के सहयोग से जून 24 और 25 को बीजेपी विधायकों की एक अनौपचारिक बैठक बुलाकर दिल्ली को साफ़ सन्देश देने की कोशिश की है कि वह अभी भी अपने विधायकों में लोकप्रिय हैं लेकिन उनकी ये सारी योजना सफल नहीं रही और उनकी चाल कामयाब नही हुई।

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री विप्लब देव के करीबी माने जाने वाले शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने सरकारी मुख्य सचेतक के माध्यम से 34 भाजपा विधायकों को अनौपचारिक रूप से बिना किसी एजेंडा को बताए विधानसभा परिसर में आमंत्रित किया। श्री नाथ ने विधायकों को बताया कि बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष के त्रिपुरा दौर के बाद संगठन के सभी मसलों पर चर्चा होगी जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शामिल नहीं होंगे।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले बी एल संतोष त्रिपुरा गए थे और वहां उन्होंने बिप्लब कुमार देब के खिलाफ उपजे असंतोष को लेकर कई बैठकें की। संतोष ने सभी विधायकों से एक- एक करके मुलाकात की।
श्री नाथ के बुलाए बैठक में मात्र 13 विधायक पहुंचे जबकि विप्लब विरोधी 10 विधायक नहीं पहुंचे। बाद में उस बैठक में विप्लब देव अचानक पहुंच गए जबकि उपमुख्यंत्री जिष्णु शर्मा को नही बुलाया गया लेकिन बाद में अन्तिम चरण में उन्हें आने को कहा गया जिससे जिष्णु शर्मा आहत हुए।
उस विधानसभा वाली बैठक में सीएम विप्लब देव को नही आना था लेकिन अचानक वो वहां पहुंच गए। जिससे वहां मौजुद सभी विधायक नाराज हो गए क्योंकि उन्हें कहा गया था कि सीएम विप्लब देव वहां नहीं आएंगे और वे वहां अचानक आ गए।
गौरतलब है कि श्रीनाथ पहले कांग्रेस में थे, 2018 में वे भाजपा में शामिल हुए और बहुत ही कम समय में उन्होंने सीएम विप्लब सहित सभी प्रभावशाली नेताओं को अपने बस में कर लिया उसमें कथित तौर पर नाथ पहले दिन से ही बिप्लब देब सरकार के लिए समस्याएं खड़ी करने में लगें हुए हैं जिसे लेकर पार्टी के नेताओं ने बार-बार सीएम को सचेत भी किया लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया।

विधायकों की स्थिति उस समय हास्यास्पद हो गई जब बैठक के बीच में ही सीएम विप्लब वहां पहुंच गए, सूत्रों का कहना है कि उस बैठक में सीएम विप्लब की तानाशाह कार्यशैली और लोकप्रियता को लेकर चर्चा हो रही थी।

बैठक में शामिल हुए एक विधायक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बिप्लब के नहीं होने की पुष्टि होने के बाद ही हम बैठक में गए थे। लेकिन हमारे साथ धोखा हुआ क्योंकि वे हमारी टीम में जो बिप्लब देब के खिलाफ खड़ी है उसमे रतनलाल और उनके लोग भ्रम पैदा करना चाहते है।

गौरतलब है कि यह बैठक बी एल संतोष की यात्रा के बाद समीक्षा के लिए बुलाई गई थी वहां बीएल संतोष के नाम का सहारा लेकर सीएम देव अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश में थे।
सूत्रो के अनुसार बीएल संतोष द्वारा केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई रिपोर्ट में सीएम बिप्लब देब के खिलाफ कई ऐसी टिप्पणियां है। संतोष ने रिपोर्ट में ऐसा बताया है कि श्री देव के नेतृत्व में भाजपा का अस्तित्व खतरे में है। इसी रिपोर्ट को काउंटर करने के लिए सीएम विप्लब ने नाथ की मदद से विधानसभा की बैठक बुलाई थी। बताया जाता है कि संतोष के त्रिपूरा दौरे के दौरान भाजपा के सभी विधायकों से एक एक करके बात की गई थी। संगठन और सरकार की स्थिति को लेकर चर्चा भी की थी।
सूत्रो के अनुसार 20 से ज्यादा विधायकों ने श्री संतोष को बताया कि सीएम का हटाया जाना जरूरी है। यदि समय रहते सीएम देव को नही हटाया गया तो प्रदेश में भाजपा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
उसके बाद बताया जाता है कि प्रदेश के दोनो लोकसभा सासंद भी सीएम के खिलाफ है और सूत्रो का यह भी कहना है कि सीएम के ओसडी संजय मिश्रा ने संगठन और सरकार की छवि को गिराने में कोई कसर नही छोड़ी है। जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने त्रिपुरा सरकार के सहयोगी आईपीएफटी के नेताओं से भी त्रिपुरा के बारे में चर्चा की जहां सभी ने एक सूर में सीएम विप्लब देव के खिलाफ ही बोला।

आईपीएफटी नेताओं ने श्री नड्डा को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि “बिप्लब देब का कार्य अच्छा नहीं हैं बल्कि उनके प्रदर्शन और कार्यों से बीजेपी और आईपीएफटी दोनों को गंभीर नुकसान हो रहा है।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार त्रिपुरा के कई नेताओं ने दिल्ली में केंद्रीय भाजपा के सभी संबंधित अधिकारियों को सूचित किया है कि आज की स्थिति में 25-30 विधायक सीएम के खिलाफ है यदि प्रदेश में भाजपा और संगठन की सरकार को बचाना है तो विप्लब को हटाना जरूरी है। उन नेताओं ने यह भी कहा कि संघ और भाजपा के खून पसीने की इस कमाई को सीएम अपनी नासमझी से समाप्त करने में जुटे है। उनसे भाजपा के नेता परेशान और माकपा और विरोधी दल के नेता खुश है। इस घटना क्रम से यह लगता है कि सीएम विप्लब देव नें अपने घटिया कार्यशैली से बी एल संतोष को भी नही बख्सा। यह केंद्रीय नेतृत्व के लिए चिंता और चिंतन का विषय है।

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