समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 जुलाई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आव्रजन नीतियों को लेकर एक बड़ा झटका लगा है। एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को लॉस एंजिलिस समेत कैलिफोर्निया के सात काउंटियों में चल रही अंधाधुंध आव्रजन गिरफ्तारियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया है। यह आदेश प्रवासी अधिकार संगठनों द्वारा दायर याचिका के बाद आया है, जिसमें नस्लीय भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
नस्लीय भेदभाव के आरोपों ने बढ़ाई मुश्किल
प्रवासी अधिकार समूहों ने अपनी याचिका में दावा किया कि ट्रंप प्रशासन दक्षिणी कैलिफोर्निया में आव्रजन कार्रवाई के नाम पर विशेष समुदायों को निशाना बना रहा है। आरोप है कि आव्रजन एजेंसियां बिना वारंट गिरफ्तारियां कर रही हैं, हिरासत केंद्रों में बंदियों को वकीलों से मिलने नहीं दिया जा रहा और गिरफ्तारी में नस्लीय पहचान के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। इन आरोपों ने ट्रंप प्रशासन की पहले से विवादों में घिरी आव्रजन नीति को फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है।
न्यायालय ने जताई सख्ती
इस मामले में सुनवाई करते हुए संघीय न्यायाधीश मामी ई. फ्रिमपॉन्ग ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन को आदेश दिया कि वह कैलिफोर्निया के सात काउंटियों में चल रही सभी गैरकानूनी आव्रजन गिरफ्तारियां तत्काल रोक दे। इसके अलावा लॉस एंजिलिस स्थित आव्रजन हिरासत केंद्र में वकीलों की बंदियों से मुलाकात पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई जाएगी।
हालांकि अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय की सहायक सचिव ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने अदालत में दिए बयान में कहा कि नस्लीय आधार पर गिरफ्तारी का आरोप पूरी तरह निराधार और अपमानजनक है।
200 गिरफ्तारियां और एक मौत के बाद आदेश
कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया है जब कुछ ही दिन पहले संघीय आव्रजन अधिकारियों ने कैलिफोर्निया में भांग (कैनबिस) के दो खेतों पर छापेमारी कर करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों पर अवैध रूप से अमेरिका में रहने का आरोप था। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत होने की खबर ने माहौल को और गर्म कर दिया। स्थानीय नागरिकों और प्रवासी अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई का विरोध किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।
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