समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन/काबुल, 21 सितंबर: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान स्थित बगराम एयरबेस को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर चेतावनी दी कि अगर यह एयरबेस अमेरिका को वापस नहीं किया गया, तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब बगराम एयरबेस का रणनीतिक महत्व लगातार वैश्विक राजनीति का केंद्र बना हुआ है।
ट्रंप की चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका इस समय अफगान सरकार से बातचीत कर रहा है और चाहता है कि बगराम एयरबेस जल्द से जल्द उसके नियंत्रण में आए। उन्होंने इसे एक “खुली चेतावनी” करार देते हुए कहा कि यह एयरबेस चीन के परमाणु हथियार केंद्र से महज एक घंटे की दूरी पर है और लंबे समय तक अमेरिकी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले की सरकार ने एयरबेस को मुफ्त में छोड़ दिया था, जो अमेरिका की सुरक्षा रणनीति के लिए भारी भूल थी।
तालिबान का सख्त जवाब
ट्रंप के बयान के बाद तालिबान की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। तालिबानी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक निदेशक जाकिर जलाली ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि अफगानिस्तान किसी भी हालत में अमेरिकी सैन्य वापसी को मंजूरी नहीं देगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच बातचीत केवल “आपसी सम्मान और साझा हितों” के आधार पर ही हो सकती है।
तालिबान ने साफ कर दिया है कि देश की संप्रभुता पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
बगराम एयरबेस का रणनीतिक महत्व
बगराम एयरबेस दशकों तक नाटो और अमेरिकी सेनाओं के लिए सबसे अहम ठिकाना रहा। 2021 में अमेरिकी वापसी और तालिबान के कब्ज़े के बाद इसे अफगान सेना को सौंप दिया गया।
- यह एयरबेस चीन की सीमाओं के बेहद नजदीक है।
- अमेरिका के लिए यह न केवल अफगानिस्तान बल्कि एशियाई भू-राजनीति में भी निगरानी और दबाव बनाने का अहम केंद्र रहा है।
ट्रंप ने ब्रिटेन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी दावा किया था कि यह एयरबेस अमेरिका के हित में होना चाहिए था।
ट्रंप की विस्तारवादी सोच
डोनाल्ड ट्रंप पहले भी पनामा नहर, ग्रीनलैंड और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों पर अमेरिकी कब्जे की वकालत कर चुके हैं। बगराम एयरबेस को लेकर उनका नया बयान उनकी इसी विस्तारवादी नीति की ओर इशारा करता है।
18 सितंबर को भी ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका इस एयरबेस को नियंत्रण में लेने की दिशा में सोच रहा है, हालांकि समझौते का स्वरूप अभी स्पष्ट नहीं है।
भविष्य की चुनौतियां
यदि अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच इस एयरबेस को लेकर कोई समझौता होता है, तो यह तालिबान की सत्ता और उसके वैचारिक आधार पर बड़ा झटका होगा। वहीं, अमेरिका के लिए यह चीन और मध्य एशिया पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने का जरिया बन सकता है।
हालांकि, अफगानिस्तान की आंतरिक राजनीति और तालिबान का सख्त रुख इस मुद्दे को बेहद पेचीदा बना सकता है।
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