ट्रंप का दावा: पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भारत-पाक युद्ध रोकने में निभाई अहम भूमिका, लाखों जानें बचाईं

समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 1 अक्टूबर: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से अपने पुराने दावे को दोहराते हुए कहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ट्रंप ने कहा कि मुनीर ने यह भी स्वीकार किया था कि इस प्रयास से लाखों लोगों की जान बचाई गई। ट्रंप का यह बयान उस समय आया जब वे गाजा शांति योजना पर चर्चा कर रहे थे।

भारत-पाक सीजफायर का संदर्भ

गौरतलब है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सीमाओं पर जारी तनाव के बीच सीजफायर की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव कुछ हद तक कम हुआ।

ट्रंप ने उस समय दावा किया था कि इस सीजफायर में उनकी भूमिका रही है और यहां तक कि उन्होंने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता बताते हुए कहा था कि उन्हें इसके लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।

असीम मुनीर का बयान: “लाखों जानें बचीं”

ट्रंप ने बताया कि हाल ही में उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर से हुई थी। इस दौरान मुनीर ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ट्रंप के हस्तक्षेप ने दोनों देशों को युद्ध से बचाया और इस कदम से लाखों लोगों की जानें सुरक्षित रहीं।

मुनीर ने यह भी कहा कि यदि युद्ध छिड़ता, तो परिणाम बेहद भयावह हो सकते थे।

गाजा शांति योजना से जोड़कर बयान

ट्रंप ने अपने बयान में गाजा शांति योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े विवादों को सुलझाने का प्रयास है।

ट्रंप ने दावा किया कि इस योजना को लेकर अरब और मुस्लिम देशों की सहमति मिल चुकी है और इजराइल भी इसका समर्थन कर रहा है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय हमास की सहमति पर निर्भर करेगा।

भारत का रुख स्पष्ट

ट्रंप ने अपने बयान में भारत-पाक विवाद की तुलना गाजा शांति समझौते से करते हुए कहा कि उन्होंने कई संभावित युद्धों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है।

हालांकि, भारत ने हमेशा यह रुख अपनाया है कि सीजफायर पूरी तरह से द्विपक्षीय निर्णय था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। भारत का मानना है कि भारत-पाक विवादों का समाधान केवल आपसी बातचीत से ही संभव है, न कि बाहरी दखल से।

ट्रंप के इस नए बयान से एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत-पाक संबंधों और तीसरे पक्ष की भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की ओर से ऐसे दावे किए जाने का सीधा असर कूटनीतिक रिश्तों पर भले न पड़े, लेकिन राजनीतिक बहस जरूर तेज हो सकती है।

 

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