समग्र समाचार सेवा
वाशिंगटन डीसी, 26 जून: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति में अप्रत्याशित मोड़ आम बात है, लेकिन इस बार उन्होंने मध्य पूर्व में एक नए कूटनीतिक अभियान की शुरुआत की है। ट्रंप के खास दूत स्टीव विटकॉफ ने हालिया इंटरव्यू में बताया कि व्हाइट हाउस अब्राहम अकॉर्ड को और आगे बढ़ाने की रणनीति बना रहा है। इस प्रयास का मकसद है और ज्यादा इस्लामिक राष्ट्रों को इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने की राह पर लाना।
कौन होंगे अगले जोड़ तोड़ के हिस्सेदार?
विटकॉफ ने कहा कि अमेरिका विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ मिलकर इस योजना को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम स्पष्ट नहीं किया, लेकिन संकेत दिया कि जल्द ही इस पहल का ऐलान हो सकता है। यदि कुछ प्रमुख मुस्लिम राष्ट्र—जैसे पाकिस्तान, तुर्की या ईरान—इसमें शामिल हो जाते हैं, तो यह क्षेत्रीय राजनीति में तहलका मचा देगा।
अब्राहम अकॉर्ड क्या है?
अब्राहम अकॉर्ड की शुरुआत 2020 में ट्रंप के कार्यकाल में हुई थी, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजरायल को औपचारिक मान्यता दी और राजनयिक संबंध स्थापित किए। इसका नाम पैगंबर अब्राहम की तीनों प्रमुख धार्मिक मान्यताओं—यहूदी, ईसाई और इस्लाम—में साझा दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए रखा गया था।
मिशन: शांति और स्थिरता
व्हाइट हाउस का तर्क है कि अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार मध्य पूर्व में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करेगा। विटकॉफ का कहना है, “यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ठोस पहल होगी”—लेकिन यह भी सच है कि इससे ईरान, तुर्की, और पाकिस्तान जैसे देशों को भू-राजनीतिक झटका लग सकता है
चुनौती और बदलाव
अब्राहम अकॉर्ड को चार नए इस्लामिक देशों से समर्थन मिलने से ट्रंप की मध्य पूर्व की कूटनीति को नए आयाम मिल सकते हैं। यह क्षेत्रीय ताक़त संतुलन को प्रभावित करेगा तथा पाकिस्तान और तुर्की को सैन्य-राजनीतिक फैसले पर दोबारा सोचने के लिए विवश करेगा।
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