समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 अगस्त: भारत और अमेरिका के रिश्तों में पिछले कुछ दिनों से तनातनी देखी जा रही है। वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एकतरफा फैसला, जिसमें भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। इसका कारण बताया गया कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है।
भारत पर सख्त, रूस पर मेहरबान?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए। लेकिन इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि उनके दूसरे कार्यकाल यानी ट्रंप 2.0 में अमेरिका और रूस के बीच व्यापार 20 प्रतिशत बढ़ा है। यह खुलासा वैश्विक राजनीति में अमेरिका के दोहरे रवैये पर सवाल खड़े करता है।
पुतिन ने खोली पोल
अलास्का शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा,
“संयोग से, जब अमेरिका में नया प्रशासन सत्ता में आया तो अमेरिका-रूस व्यापार बढ़ने लगा। हमारी ग्रोथ रेट 20% है।”
पुतिन ने आगे कहा कि यह साबित करता है कि अमेरिका और रूस के बीच निवेश, डिजिटल सहयोग, उच्च तकनीक और यहां तक कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भी व्यापक संभावनाएं हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी का हमला
भारत में अमेरिकी रुख को लेकर विपक्षी नेताओं ने भी नाराजगी जाहिर की है। शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“पुतिन के अनुसार, अमेरिका-रूस गैस व्यापार में 20% की वृद्धि हुई है। रूस के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 32% और यूरोपीय संघ की 62% है। 2024 में यूरोपीय संघ का रूस से LNG आयात रिकॉर्ड 17.8 मिलियन टन तक पहुंचा। ऐसे में अंदाजा लगाइए कि हाई टैरिफ का बोझ किस पर डाला जा रहा है। यह व्यापार नहीं बल्कि चुनिंदा धौंस है।”
pic.twitter.com/3oEfsqxlaq
US- Russia bilateral gas trade grew by 20% as per Putin
China accounts for 32% of Russia’s export market
EU’s 62% mineral fuel import is from Russia
EU’s LNG imports from Russia hit a record 17.8 million tonnes in 2024
But guess who is left holding the…— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) August 16, 2025
भारत की दो टूक प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने ट्रंप के फैसले को अनुचित बताया है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह फैसला न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के भी खिलाफ है।
मंत्रालय ने दोहराया कि चीन और यूरोपीय संघ जैसे देश भारी मात्रा में रूसी तेल आयात कर रहे हैं, लेकिन उन पर कोई दंड नहीं लगाया गया। इसके विपरीत, भारत पर अतिरिक्त 50% टैरिफ थोपना अन्यायपूर्ण है।
विदेश मंत्रालय ने कहा,
“भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा। किसी भी देश के एकतरफा कदम से भारत की नीति प्रभावित नहीं होगी।”
तनावपूर्ण रिश्तों की दिशा
ट्रंप का यह फैसला भारत-अमेरिका संबंधों पर गहरी छाप छोड़ सकता है। जहां भारत ऊर्जा आयात में रूस पर निर्भर है, वहीं अमेरिका भारत को एशियाई क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार मानता आया है। अब देखने वाली बात होगी कि यह विवाद आगे व्यापारिक संघर्ष का रूप लेता है या कूटनीतिक बातचीत से हल निकलता है।
अमेरिका का भारत पर टैरिफ लगाना और साथ ही रूस के साथ अपने व्यापार में वृद्धि स्वीकार करना उसकी दोहरे मापदंड वाली नीति को उजागर करता है। भारत ने इसे स्पष्ट रूप से अनुचित ठहराते हुए अपनी नाराजगी जताई है। आने वाले दिनों में इस मसले पर वैश्विक राजनीति और भी गरमा सकती है।
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