समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जुलाई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर जमकर कटाक्ष किया। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा:
“25 प्रतिशत टैरिफ — ‘India, Russia can take their dead economies down together,’ कहते ट्रंप। नरेंद्र मोदी, S जयशंकर, शानदार जीत के लिए बधाई! ‘Apro Donald Bhai zindabad’।”
महुआ मोइत्रा ने यह पोस्ट X (पूर्व ट्विटर) पर 10:31 बजे किया, लेकिन बाद में इसे हटा दिया।
जयराम रूम का बयान: पीएम मोदी की ‘व्यक्तिगत दोस्ती’ पर सवाल
वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रूम ने भी पीएम मोदी के हालिया फैसलों पर निशाणा साधा, खासकर अमेरिका में टैरिफ से उत्पन्न राजनीति संबंधी चुनौतियों को लेकर। उन्होंने बताया कि CAP (चीन–अमेरिका–पाकिस्तान) नामक नए राजनीतिक संकट से भारत को जूझना पड़ रहा है।
रूम ने लिखा:
“टमाटर–प्याज–आलू (TOP) की कीमतें अब CAP यानी चीन, अमेरिका, पाकिस्तान की पॉलिसी से प्रभावित होती हैं। मोदी जी ने ट्रंप और शी जिनपिंग से दोस्ती की, लेकिन ये दोनों जानते हैं कि उन्हें ‘मोदिजी के बड़े अहंकार और आत्ममुग्धता’ पर खेलकर आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।”
अमेरिका की प्रतिक्रिया: टैरिफ पर बात करने को तैयार
अमेरिका ने इस बीच संकेत दिया है कि वह भारत के साथ जारी व्यापार वार्ता में 25% टैरिफ मामले पर लचीला हो सकता है। ट्रंप ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा:
“हम अब बात कर रहे हैं, देखते हैं क्या होता है। भारत दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ लगाने वाला देश रहा है—लगभग 175% तक।”
इस बयान के बाद यह स्पष्ट हुआ कि अमेरिका भारत को उच्च आयात शुल्क के संबंध में एक प्रमुख चुनौतिपूर्ण देश मानता है
राजनीतिक प्रभाव और वाक्य तनाव
- महुआ मोइत्रा ने स्पष्ट तौर पर मोदी सरकार की भू-कूटनीतिक रणनीति पर सवाल उठाए।
- जयराम रूम ने न सिर्फ टैरिफ को मुद्दा बनाया बल्कि मोदी की निजी रिश्तों की व्याख्या कर राजनीतिक जोखिम का दावा किया।
- सरकार की प्रतिक्रिया नरम रहने के दृष्टिगत आलोचना अधिक हो सकती है, क्योंकि विपक्ष इसे जवाबदेही के अभाव के रूप में देखता है।
टैरिफ विवाद बना राजनीतिक बहस का केंद्र
ट्रंप की टैरिफ घोषणा ने न सिर्फ भारत–अमेरिका के व्यापारिक मुद्दों को गरम किया है, बल्कि संसद, विपक्ष और कूटनीतिक पटल पर भी नई बहस की शुरुआत कर दी है। महुआ-मोइत्रा और जयराम रूम जैसे नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि यह विषय केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक आत्मसम्मान, नेतृत्व प्रवृत्ति और बाहरी रिश्तों से जुड़ा हुआ है।
चुनावी साल से पहले यह विवाद भाजपा की विदेश नीति, कांग्रेस की विदेशिक आलोचना, और सरकारी रणनीति को परखने का अवसर बन गया है।
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