समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जुलाई: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यापार संतुलन को हिला देने वाले फैसले में सामने आए हैं। उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ और जुर्माना लगाने की घोषणा कर दी है। इस एकतरफा फैसले के जरिए ट्रंप भारत के साथ चल रही ट्रेड डील की बातचीत के बीच व्यापार दबाव बढ़ा रहे हैं।
जहां एक ओर भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, वहीं ट्रंप के इस कदम ने दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ट्रंप की ‘घमंडी डील रणनीति’?
ट्रंप को लंबे समय से एक बिजनेस-ओरिएंटेड राष्ट्रपति माना जाता रहा है, जो अमेरिका को ‘फायदे’ में देखना चाहते हैं। भारत-पाक सीज़फायर का क्रेडिट लेने की कोशिश और पीएम मोदी द्वारा संसद में ट्रंप की ‘सच्चाई’ उजागर करने के बाद यह टैरिफ फैसला व्यक्तिगत बौखलाहट के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रंप जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों के साथ जिस एकतरफा मुनाफे वाली डील को लागू कर चुके हैं, अब वही रणनीति भारत पर भी थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार में क्या खरीदता-बेचता है भारत?
भारत अमेरिका को बेचता है:
- दवाइयाँ ($8.1 अरब)
- टेलीकॉम इंस्ट्रूमेंट ($6.5 अरब)
- पेट्रोलियम उत्पाद ($4.1 अरब)
- रेडीमेड गारमेंट ($2.8 अरब)
- आयरन, स्टील, कीमती धातु व जूलरी
भारत अमेरिका से खरीदता है:
- कच्चा तेल ($4.5 अरब)
- एलएनजी, कोल और कोक
- इलेक्ट्रिक मशीनरी
- डायमंड, एयरक्राफ्ट पार्ट्स
टैरिफ का भारत पर संभावित असर
25% टैरिफ से भारतीय निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है, विशेषकर:
- फार्मा, ऑटोमोबाइल, आईटी, इंजीनियरिंग और कपड़ा उद्योग
- अमेरिका को भारत का कपड़ा निर्यात 10 अरब डॉलर तक रहा है, जिससे वहां की कीमतें बढ़ सकती हैं
- शेयर बाजार और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है
- GDP में अनुमानित 0.19% गिरावट की आशंका है
लेकिन भारत की मजबूत घरेलू मांग और 3.73 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था इसे झेल सकती है। भारत को यूरोप, जापान, ASEAN जैसे बाजारों की ओर रुख करना होगा।
क्या अमेरिका भी इस टैरिफ से बचेगा?
बिलकुल नहीं।
- भारत से ज्यादा खरीदने वाले अमेरिका को टैरिफ के कारण महंगे उत्पादों और बढ़ती महंगाई का सामना करना पड़ेगा।
- मैन्युफैक्चरिंग लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी सामान महंगे होंगे।
- कच्चे माल की कमी से अमेरिकी कंपनियां परेशान होंगी।
- छोटे बिजनेस और खपत आधारित सेक्टर पर संकट मंडराएगा।
बैंक ऑफ अमेरिका, जेपी मोर्गन और इकनॉमिक एक्सपर्ट्स पहले ही ट्रंप को चेतावनी दे चुके हैं कि इस तरह के कदम GDP ग्रोथ और कंजंप्शन को नुकसान पहुंचाएंगे।
टैरिफ की चाल उलटी भी पड़ सकती है
ट्रंप की इस टैरिफ नीति से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ना तय है। यह कदम न केवल भारत के निर्यातकों को प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और उद्योगों को भी तगड़ा झटका देगा।
भारत के पास विकल्प हैं, लेकिन अमेरिका के लिए यह कदम दीर्घकालीन व्यापारिक नुकसान की भूमिका लिख सकता है।
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