“स्व. सुरेंद्र भूषण झिंगन जी की रस्म पगड़ी एवं श्रद्धांजलि सभा शोकाकुल वातावरण में संपन्न “

डॉ श्वेता सिन्हा
समग्र समाचार सेवा
ग्लेनव्यू (शिकागो),16दिसंबर। ग्रेटर शिकागो, ग्लेनव्यू के हनुमान मंदिर सभागार में दिनांक 11 दिसंबर 2022 की शाम को प्रसिद्ध समाज सेवक स्वर्गीय सुरेंद्र भूषण झिंगन जी की रस्म पगड़ी एवं श्रद्धांजलि सभा शोकाकुल वातावरण में संपन्न हुई।
रस्म पगड़ी हिंदू सनातन धर्म में पिता की मृत्यु के तेरहवें दिन सबसे बड़े पुत्र को उत्तराधिकार स्वरूप बांधी जाती है।

शिकागो शहर के एक प्रमुख समाजसेवक स्व. झिंगन जी की रसम पगड़ी में पारिवारिक सदस्यों के साथ-साथ दुनिया भर के लगभग 200 लोग व्यक्तिगत रूप और ज़ूम पर आभासी रूप से सम्मिलित हुए। उन सभी के द्वारा स्व. झिंगन को उनके इष्टदेव हनुमान मंदिर में पर्याप्त सम्मान और मीठी यादों सहित श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

चित्र में माल्यार्पण से कार्यक्रम की शुरुआत बेटे आशीष झिंगन ने की। दोनों बेटों संजय झिंगन और आशीष झिंगन ने स्व. पिता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया। लेक काउंटी हिंदू मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित अनिल जोशी जी द्वारा भी दीप प्रज्ज्वलन किया गया।
स्व. झिंगन की पत्नी श्रीमती चंचल झिंगन और परिवार के अन्य सदस्यों ने फिर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। रमा कपूर, अवि वर्मा और इंद्राणी जोशी जी ने स्व. झिंगन के पसंदीदा सुंदर भजन गाए।

पं. जोशी जी ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में कहा कि 95 वर्षीय स्व. सुरिंदर झिंगन जी को भारतीय समुदाय में पापा जी के नाम से जाना जाता रहा है। स्व. सुरिंदर भूषण झिंगन जी 1947 में मुल्तान (अविभाजित भारत) से चले आए। उनके परिवार ने अल्प संसाधनों के साथ अपना जीवन शुरू किया और कई संघर्षों और चुनौतियों के साथ जीवन में सफल हुए। उन्होंने अपने माता-पिता और अपने जीवन की परिस्थितियों से विनम्र, आध्यात्मिक और दूसरों के लिए सहायक होने के लिए बहुत कुछ सीखा और अपने परिवार एवं रिश्तेदारों को भी सामाजिक मूल्यों की प्रेरणा दी। उन्होंने लोगों को अपने अच्छे मूल्यों, आध्यात्मिकता और सख्त सिद्धांतों से प्रभावित किया। पं. जोशी जी ने रामायण और भगवद-गीता के श्लोकों को उद्धृत करते हुए उनके गुणों पर प्रकाश डाला, जिसमें उनके विभिन्न गुणों का वर्णन किया गया है जो एक परिवार के मुखिया के रूप में होने चाहिए। अनिल जी ने उन्हें ‘एक संघर्षशील और कर्मयोगी’ के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने जीवन में सभी चुनौतियों को मुस्कान के साथ स्वीकार किया।

डॉ. द्विवेदी, जो झिंगन परिवार के निकट संपर्क में थे, उन्होंने स्व. झिंगन के अच्छे गुणों, मददगार स्वभाव के साथ एक बहुत ही आध्यात्मिक और सरल व्यक्ति के रूप में याद किया। उन्होंने कुछ श्लोक गाए और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी दिवंगत आत्मा के लिए शांति प्रार्थना की। श्री. कुमार राकेश, ग्लोबल गवर्नेंस न्यूज और अन्य लोगों ने जूम के जरिए अपने शोक संदेश और श्रद्धांजलि को साझा किया।
इस श्रद्धांजलि सभा में स्थानीय समाचार पत्र, मंदिर के प्रतिनिधियों के साथ-साथ समुदाय के कई नेतागणों ने भी उपस्थित हो कर स्व. झिंगन को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
रस्म पगड़ी की प्रक्रिया पंडित अनिल जोशी जी द्वारा स्व. झिंगन के सुपुत्र को पगड़ी पहनाकर निभाई गई। पंडित अनिल जोशी जी, योगेश पाण्डेय, पंडित कृष्ण सुलाखे, संजय झिंगन, आशीष झिंगन और सुपुत्री श्रीमती वंदना झिंगन जी ने पूरे कार्यक्रम में शामिल हो कर अपने आराध्य पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए सभी प्रियजनों को धन्यवाद दिया। उन्होंने अद्भुत मीडिया के गुरमीत सिंह धलवान जी को उनकी मीडिया कवरेज और परिवार को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
भावुक पोते रोहन झिंगन ने कहा, “मैं अपने यशश्वी दादाजी स्व. झिंगन का पोता होने के लिए अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं। वह मुझे और मेरे भाई-बहनों को ताश के खेल-खेल में ही अच्छे संस्कार और आध्यात्मिकता सिखाते रहते थे।
मैं उन्हें आजीवन याद रखूंगा।”

उल्लेखनिय है कि 95 वर्षिय सुरिंदर बी झिंगन का 30 को निधन हो गया था। वे हनुमान जी के भक्त थे और उनका जन्म अविभाजित भारत के लायलपुर में हुआ था।

1947 में विभाजन के दौरान 20 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जिसके बाद बड़ी ही कठिनाईयों के बाद उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी करके अपनी माँ और छोटे भाई-बहनों (3 भाई और 2 बहनों) की देखभाल की।
परिवार की देखभाल और शारीरिक रूप से उनके साथ रहने के लिए उन्होंने भारतीय वायु सेना द्वारा चयनित होने के बाद भी बैंगलोर में लगभग 6 महीने तक देश की सेवा की।
बाद में वे भारतीय रेलवे में शामिल हुए और उप स्टेशन अधीक्षक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
वह एक आरएसएस सेवक और मानव स्तर पर समानता के प्रबल विश्वासी थे और कभी भी लैंगिक रूढ़िवादिता में विश्वास नहीं करते थे। इसके अलावा वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी जी के ओटीसी बैचमेट भी रह चुके थे।
उन्होंने चंचल झिंगन से शादी की है और उनके 3 खूबसूरत बच्चे (1 बेटी और 2 बेटे) हैं। उनके 5 पोते हैं। यूएस 2007 में माइग्रेट किया गया और वे शाउम्बर्ग में रह रहे थे। वह वर्तमान में गंभीर डिमेंशिया से पीड़ित हैं और उनकी देखभाल उनकी पत्नी और बेटी वंदना झिंगन कर रही थी।

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